सरकार ने जवाब दिया कि संविधान के तहत अभिभावकों के संरक्षण के लिए हाईकोर्ट के निर्देश पर कमेटी गठित कर फीस तय की। इस मामले पर मंगलवार को लगभग पौने पांच घंटे सुनवाई चली और लिखित पक्ष रखने का मौका देते हुए सुनवाई पूरी कर ली गई।
पांच दिन में की साढ़े ग्यारह घंटे सुनवाई
न्यायाधीश एएम खानविलकर व न्यायाधीश दिनेश माहेश्वरी ने 5 दिन में लगभग साढ़े ग्यारह घंटे सुनवाई की। हाईकोर्ट ने विस्तृत सुनवाई के बाद 18 दिसम्बर 2020 को फीस निर्धारण के राज्य सरकार के अक्टूबर के आदेश को सही ठहराया था।
इसे जयपुर के एसएमएस स्कूल प्रबंधन व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। विद्याश्रम स्कूल प्रबंधन ने स्कूल फीस अधिनियम को पहले से चुनौती दे रखी है। सभी मामलों पर मंगलवार को एक साथ सुनवाई हुई।