सुप्रीम कोर्ट ने नहीं माना करौली से गिरफ्तारी के वक्त के दस्तावेज छुपाने का बहाना
जयपुर. दुष्कर्म के बाद निर्भया को मौत के मुंह में छोड़कर फरार हुआ मुकेश सिंह करौली जिले से गिरफ्तारी के दौरान तैयार दस्तावेजों पर सवाल उठाकर भी फांसी को नहीं टलवा पाया। मुकेश के वकील ने उसकी गिरफ्तारी के वक्त तैयार दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराने के मामले को लेकर यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा कि गिरफ्तारी के वक्त के दस्तावेज उसे उपलब्ध नहीं कराए गए थे।

फांसी से पहले वह उन दस्तावेजों पर गौर कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट आया है। लेकिन
उच्चतम न्यायालय ने देश को दहला देने वाले निर्भया सामूहिक दुष्कर्म एवम् हत्या मामले के गुनाहगार मुकेश की ये याचिका खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की खंडपीठ ने याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी कि दोषी ने सारे कानूनी उपायों को इस्तेमाल कर लिया है। खंडपीठ ने कहा, हमें इस जनहित याचिका के तहत मामले को दोबारा खोलने का कोई आधार नहीं दिखता। इससे पहले मुकेश के वकील एम एल शर्मा ने दलील दी कि वह यहां फांसी में देरी के लिए नहीं आए। दोषी कानूनी ढांचे के अनुरूप अपने भाग्य को स्वीकार करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि वह उन दस्तावेजों पर गौर कराना चाहते हैं जो उन्हें उपलब्ध नहीं कराए गए। कई दस्तावेज पुलिस ने छिपाए थे। न्यायालय ने कहा कि दस्तावेज ट्रायल का विषय हैं। एक बार ट्रायल प्रक्रिया समाप्त हो जाने के बाद, इस सब को आगे नहीं लाया जा सकता। शर्मा ने कहा कि मुकेश की गिरफ्तारी और रिमांड से संबंधित कागजात दो राज्य सरकारों के बीच के दस्तावेज हैं। सत्रह दिसंबर की शुरुआत में वह करौली राजस्थान में था। न्यायालय ने कहा कि इस पर विचार किया गया है। वकील ने वारदात के समय दोषी मुकेश की कॉल डिटेल, मेडिकल रिपोर्ट और अन्य दस्तावेज मंगाकर उनकी जांच किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराने की गुहार लगाई लेकिन न्यायालय ने इस दलील को भी खारिज कर दिया। अब न्यायालय ने अक्षय सिंह ठाकुर की याचिका पर सुनवाई शुरू कर दी।
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