प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता राजेन्द्र सोनी ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज की फीस तय करने के लिए सिक्किम हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एस एन भार्गव की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के आदेश दिए थे। इसके बावजूद निजी कॉलेज अपने स्तर पर मनमानी फीस तय कर रहे हैं और मेडिकल कॉलेजों ने तय फीस से कई गुणा अधिक राशि वसूल कर रहे हैं।
अधिक ली गई फीस की राशि को लौटाने के निर्देश दिए जाएं। पेसिफिक मेडिकल कॉलेज व पेसिफिक विवि की ओर से अधिवक्ता एस एन कुमावत ने कोर्ट को बताया कि फीस को लेकर महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज का मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है और कॉलेज को अपनी फीस तय करने का अधिकार है। कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद कहा कि मामला सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, एेसे में सुप्रीम कोर्ट का जो भी आदेश होगा वह सभी के लिए लागू होगा।
वित्त सचिव के सेवा रिकॉर्ड में रिमार्क लगाने के आदेश
हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक कर विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन काटने पर अधिकारियों पर 25 हजार रुपए हर्जाना लगाया है। साथ ही काटी गई राशि ९ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने और वित्त सचिव प्रवीण गुप्ता के सेवा रिकॉर्ड में रिमार्क लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जिनके कारण सेवानिवृत्त कर्मचारी को अदालत आना पड़ा। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने मूलचंद शर्मा की याचिका पर यह आदेश दिया।
हाईकोर्ट ने वाणिज्यिक कर विभाग के सेवानिवृत्त कर्मचारी की पेंशन काटने पर अधिकारियों पर 25 हजार रुपए हर्जाना लगाया है। साथ ही काटी गई राशि ९ प्रतिशत ब्याज सहित लौटाने और वित्त सचिव प्रवीण गुप्ता के सेवा रिकॉर्ड में रिमार्क लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने मुख्य सचिव को यह भी निर्देश दिया कि उन अधिकारियों पर कार्रवाई की जाए, जिनके कारण सेवानिवृत्त कर्मचारी को अदालत आना पड़ा। न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा ने मूलचंद शर्मा की याचिका पर यह आदेश दिया।
प्रार्थीपक्ष की ओर से अधिवक्ता एनएल वर्मा ने कोर्ट को बताया कि प्रार्थी विभाग में यूडीसी पद पर रहते एसीबी की ट्रेप कार्रवाई में गवाह था, ट्रायल के दौरान उसे पक्षद्रोही घोषित कर दिया। इस पर एसीबी ने विभाग को 3 मई 2011 को प्रार्थी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई करने को कहा। एसीबी कोर्ट ने 8 अक्टूबर 2014 को फैसले में प्रार्थी के खिलाफ कुछ नहीं कहा। इसके बावजूद विभाग ने तीस सितंबर 2014 को प्रार्थी की एक साल की पेंशन की दस फीसदी राशि काट ली। इसके खिलाफ विभागीय अपील को अपीलीय अधिकारी ने 16 फरवरी 2015 को खारिज कर दिया, जबकि अपीलीय अधिकारी ने समान मामले में एक अन्य कर्मचारी की अपील स्वीकार कर ली।