नहीं होगा बैंक एकाउंट और मोबाइल नंबर बंद मामले में फैसला आने तक आधार की अनिवार्यता समाप्त की जाती है यह फैसला सुनाया मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने। साथ ही स्पष्ट करते हुए कहा कि आधार विभिन्न कल्याणकारी और सामाजिक योजनाओं के लिए जरूरी होगा।
मुख्य न्यायाधीश मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच-सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि सरकार किसी भी नागरिक पर आधार को बैंक एकाउंट और मोबाइल नंबर से जोड़ने के लिए किसी भी प्रक्रार का दबाव नहीं बना सकती है। दबाव बनाने और आधार लिंक नहीं करवाने से एकाउंट नंबर बंद करने से यह न्यायालय की अवमानना मानी जाएगी।
केंद्र सरकार ने साल 2017 दिसंबर में कोर्ट की सुनवाई के वक़्त आधार कार्ड से लिंक करने की तारीख़ तय कर दी थी, यह तारीख़ 31 मार्च थी। मार्च 2018 में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल वेणुगोपाल ने निर्देश दिए थे की आवश्यक होने पर ही आधार को विभिन्न सेवाओं से जोड़ने की अंतिम तिथि को आगे बढ़ाया जा सकता है।
पासपोर्ट सेवा के लिए भी अनिवार्य नहीं आधार पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2017 को इसकी समय सीमा बढ़ाकर 31 मार्च तक कर दी थी। आधार की अनिवार्यता के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय संविधान बेंच ने आदेश दिया है कि केंद्र सरकार तत्काल पासपोर्ट सेवा के लिए भी आधार को अनिवार्य नहीं कर सकती है। संविधान बैंच ने साफ किया है कि जब तक संविधान बैंच इस मामले पर अपना फैसला सुना नहीं देती तब तब आधार को लिंक करने की अनिवार्यता नहीं होगी।
सरकार भी नहीं डाल सकेगी दबाव लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने आधार को लेकर एक नया फैसला दिया है जो कि लागू किया जाएगा और इस विषय में पूर्ण रूप से निर्णय आने तक आधार कार्ड को लिंक कराने की कोई निश्चित अवधि नहीं होगी। यह अनिश्चितकाल और सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक लिंक नहीं कराना लागू रहेगा। ऐसे में सरकार , बैंक और मोबाइल कंपनी किसी पर भी दबाव नहीं डाल सकती और न ही उसका एकाउंट और मोबाइल नम्बर बंद कर सकती है।