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कोरोनाकाल में शिक्षक निकाले, वेतन घटाया, अब पूरी फीस से भरेंगे जेब

locationजयपुरPublished: Feb 10, 2021 10:59:22 am

Submitted by:

santosh

वर्ष 2020-21 की स्कूल फीस के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद निजी स्कूलों की बांछे खिल गई हैं। इस वर्ष दस महीने तक कोरोना के चलते स्कूल बंद रहे।

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पत्रिका न्यूज नेटवर्क
जयपुर। वर्ष 2020-21 की स्कूल फीस के संबंध में आए सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद निजी स्कूलों की बांछे खिल गई हैं। इस वर्ष दस महीने तक कोरोना के चलते स्कूल बंद रहे। ऑनलाइन पढ़ाई चंद बच्चों तक ही पहुंची। स्कूलों ने आमदनी नहीं होने का हवाला देते हुए 30 से 40 फीसदी शिक्षकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया। जो शिक्षक शेष बचे, उनका वेतन भी 50 फीसदी तक काट लिया गया।

शिक्षक अभावों के बीच भी अपना घर चलाने व बच्चों को शिक्षा देने के उद्देश्य से सीमित संसाधनों में ऑनलाइन पढ़ाते रहे। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद निजी स्कूलों ने परिजनों से सौ फीसदी फीस वसूलने की तैयारी कर ली है। नोटिस तैयार कर परिजनों को भिजवाए जाने लगे हैं। दूसरी तरफ, शिक्षकों को फिर से भर्ती व वेतन देने की बात पर अभी तक मौन धारण किया हुआ है।

45 विषयों के अध्यापकों को बाहर का रास्ता
टोंक रोड स्थित एक निजी स्कूल ने क्राफ्ट, डांस, स्पोट्र्स सहित करीब 45 विषय अध्यापकों को कोरोनाकाल में बाहर का रास्ता दिखाया। इनमें से कई महिला शिक्षक तो पिछले 20-22 वर्ष से स्कूल में अध्यापन का कार्य कर रही थीं। स्थाई होने के बावजूद निकाले जाने पर कुछ महिला शिक्षकों ने कोर्ट की शरण भी ली थी। शेष रहे शिक्षकों को आज भी कम वेतन दिया जा रहा है।

-अजमेर रोड स्थित एक बड़े स्कूल ने तो पिछले दस माह के दौरान 125 शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया। स्कूल में बच्चों की संख्या चार हजार से अधिक है। स्कूल में शिक्षकों की कमी हो गई है। वहीं, जो शिक्षक अभी भी स्कूल में हैं, उन्हें 30 से 40 फीसदी तक कम वेतन दिया जा रहा है।

-पढ़ाई होगी प्रभावित
स्कू लों में ऑफलाइन कक्षाएं शुरू हो चुकी हैं। शिक्षकों को निकाले जाने से स्कूल में शिक्षकों की संख्या कम हो गई है। खासकर क्राफ्ट, स्पोट्र्स सहित अन्य सह शैक्षणिक गतिविधियों के शिक्षकों की। ऐसे में स्कूलों में बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होना तय माना जा रहा है।

-शिक्षकों का दर्द

-गोपालपुरा स्थित एक निजी स्कूल से निकाले गए शिक्षक ने बताया कि उन्हें गत वर्ष अप्रेल महीने से वेतन नहीं दिया गया। जुलाई आते-आते तो बाहर कर दिया गया। तब से उनके पास कोई नौकरी नहीं है। बच्चों को होम ट्यूशन देकर घर खर्च चला रहे हैं।

-झोटवाड़ा निवासी महिला शिक्षक ने बताया कि वह पिछले दस साल एक स्कूल में पढ़ा रही हैं। स्कूल ने वेतन में 50 फीसदी कटौती की थी। अब वापस इसी शर्त पर बुलाया है कि पुराना वेतन नहीं दिया जाएगा।

-अब निजी स्कूल दें राहत

सुप्रीम कोर्ट के अंतरिम फैसले के बाद अब निजी स्कूलों को कोरोनाकाल से जूझ रहे अभिभावकों के हित में आगे आना चाहिए और फीस में कुछ राहत देनी चाहिए। वैसे भी निजी स्कूलों का खर्चा सामान्य दिनों के तुलना में बहुत कम हुआ है।
-अभिषेक जैन, प्रवक्ता संयुक्त अभिभावक संघ

-जिस अनुपात में फीस प्राप्त होगी, उसी अनुपात में शिक्षकों को वेतन दिया जाएगा।

-अनिल शर्मा, अध्यक्ष स्कूल शिक्षा परिवार

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