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सवर्ण आरक्षण मामला: राजस्थान में घोषणा के दो दिन बाद ही सुप्रीम कोर्ट ने दे डाले निर्देश, जानें अब क्या होगा

locationजयपुरPublished: Jan 25, 2019 01:44:41 pm

Submitted by:

Nakul Devarshi

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Supreme Court to examine 10% general quota, refuses amendment
जयपुर।

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत (Rajasthan Chief Minister Ashok Gehlot) ने दो दिन पहले ही प्रदेश में सवर्णों के आर्थिक कमज़ोर वर्ग को आरक्षण (10 percent Reservation to General Caste) सम्बन्धी घोषणा की है। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने भी अपना रुख साफ़ कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक याचिका की सुनवाई करते हुए ये निर्देश दिए हैं। शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट ने आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के आरक्षण पर रोक लगाने से किया इनकार कर दिया है। अदालत ने इसकी वैधता की जांच करने की भी बात कही है।

शीर्ष अदालत का ये दिखा रुख
उच्चतम न्यायालय ने सामान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसले पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे की जांच करेगा। मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने एक जनहित याचिका पर सुुनवाई करते हुए ये बात कही।

खंडपीठ ने आरक्षण को चुनौती देने वाली गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ‘यूथ फॉर इक्वालिटी’ की याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है और उससे चार सप्ताह के अंदर जवाब मांगा है। याचिका में 103वें संविधान संशोधन अधिनियम 2019 को चुनौती दी है, जिसके तहत सरकारी नौकरियों तथा शैक्षणिक संस्थानों में सामान्य वर्ग के कमजोर लोगों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की व्यवस्था की गई है।

सीएम गहलोत ने विधानसभा में किया था आश्वस्त

दो दिन पहले ही सीएम अशोक गहलोत ने विधानसभा में सवर्ण वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने की घोषणा की थी। राज्यपाल के अभिभाषण पर हुई बहस का जवाब देते हुए गहलोत ने कहा था कि हमने पिछली सरकार के समय सवर्ण वर्ग के आर्थिक पिछड़ों को 14 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए संविधान में संशोधन करने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा था, तब वाजपेयी सरकार ने इस बारे में आश्वासन भी दिया था, लेकिन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। केंद्र सरकार ने अब दस प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान किया है, जिसकी राज्य में भी पालना की जाएगी।

ऐसे मिलेगा लाभ

दरअसल, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मोदी सरकार ने सवर्णों को आरक्षण देने का ऐलान किया था। सरकार के सवर्ण आरक्षण बिल को लोकसभा और राज्‍यसभा से मंजूरी मिलने के बार राष्‍ट्रपति ने भी इस विधेयक पर हस्‍ताक्षर कर दिए थे। इसके बाद कानून मंत्रालय ने भी बिल को प्रभावी बनाने में नोटिस जारी कर दिया था। अब सवर्ण आरक्षण का लाभ उन सवर्णों को मिलेगा जिनकी वार्षिक आय 8 लाख रुपए से कम होगी। इसके अलावा आरक्षण के हकदार वे ही रहेंगे जिनके पास पांच एकड़ से कम जमीन होगी।
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