इस योजना में डोनर एलीट गौवंश जिसकी दुग्ध उत्पादन उस नस्ल में औसत से अधिक हो उसको चुना। इनसे भ्रूण उत्पादित कर सरोगेट मदर (रिसिपियंट) गौवंश में रखे गए। इससे पहले सभी गौवंश का बीमारियों के लिए सैंपल जांचा।
विदेशी नस्ल को टक्कर देने के लिए गाय बनी सरोगेट मदर… जानिए, गोपालन विभाग की अनूठी और नई पहल
शैलेंद्र शर्मा/जयपुर। हमारे वीर सपूतों ने पहले मुगलों फिर अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष कर अपने प्राणों की आहुति देकर देश को आजाद कराया था। इस तरह वर्तमान में गाय अपने भारतीय अस्तित्व और देसी नस्ल को बचाने के लिए विदेशी नस्ल से संघर्षरत है। इसके लिए वह अब सरोगेट मदर भी बन गई है। इस तरह का अनूठा प्रयोग और नवाचार राजस्थान में हुआ है। हमारी गीर और थारपारकर जैसी उन्नत देसी नस्ल की गाय जहां पहले एक साल में एक बार ही संतान को जन्म देती थी, वो अब सरोगेट मदर के जरिए साल में अगली पीढ़ी के चार से पांच सदस्यों को तैयार कर पा रही है।
पायलट प्रोजेक्ट का आगाज देसी गौवंश के अनुवांशिक गुणों एवं प्रति गौवंश उत्पादकता में लगातार हो रही गिरावट को देखते हुए गीर व थारपारकर नस्ल के गौवंश सरंक्षण एवं संवर्धन के लिए राज्य में आरकेवीआई रफ्तार योजना के तहत गोपालन निदेशालय और एनडीडीबी ने प्रबंधित संस्था साबरमती आश्रम गौशाला के तकनीकी सहयोग से वीवो फर्टिलाइजेशन एवं भ्रूण प्रत्यारोपण के माध्यम से पायलट योजना शुरू की।
2 साल के लिए 150 भ्रूण का लक्ष्य जनवरी 2019 से शुरू इस योजना में 2 सालों में 20 एवं 100 कुल 150 भ्रूण प्रत्यारोपण का लक्ष्य रखा गया। 2019 में कुल 13 भ्रूण प्रत्यारोपित किए गए। 2019—20 में 59 और शेष रहे 78 भ्रूण 2020—21 में प्रत्यारोपित किए गए। योजना की कुल लागत 60 लाख रुपए थी। जिसमें लगभग 35—37 लाख व्यय की गई।
ऐसे बनी सरोगेट मदर इस योजना में डोनर एलीट गौवंश जिसकी दुग्ध उत्पादन उस नस्ल में औसत से अधिक हो उसको चुना। इनसे भ्रूण उत्पादित कर सरोगेट मदर (रिसिपियंट) गौवंश में रखे गए। इससे पहले सभी गौवंश का बीमारियों के लिए सैंपल जांचा।
पशुगणना ने बढ़ाई चिंता 2008 में हुई पशुगणना के अनुसार राज्य में थारपारकर नस्ल के 0.22 लाख नर, 1.09 लाख मादा गौवंश, सहित कुल 1.32 लाख गौवंश हैं। इनकी प्रति गौवंश दुध उत्पादकता क्षमता औसतन 1500 से 2000 लीटर और दुग्धकाल 305 दिन हैं। गीर नस्ल के 0.69 लााख नर और 2.59 लाख मादा गौवंश सहित कुल 3.29 लाख गौंवश हैं। प्रति गौवंश दुग्ध उत्पादकता क्षमता औसतन 2000 से 2500 लीटर और दुग्धकाल 305 दिन हैं।
गोपालन विभाग के निदेशक डॉ.लाल सिंह ने बताया कि राज्य में उच्च अनुवांशिक वरीयता (एचजीएम) प्राप्त थारपारकर व गिर नस्लों के गौवंश का पालन करने वाले प्रगतिशील गोपालकों एंव निराश्रित गौवंश को आश्रय देने वाली गौशालाओं में स्वस्थ्य मादा गौवंश पल रही हैं। इनको हीट सिंक्रोनाइजेशन इन विवो निषेचन एवं भ्रूण प्रत्यारोपण दृवारा थारपारकर व गिर की उन्नत गौवंश की नस्ल प्राप्त करने का यह नवाचार सफल रहा।
रुफिल जोशी डेयरी फार्म, जोबनेर, जयपुर— 10राजदरबार आहलूवालिया फार्म विराटनगर जयपुर— 40दुर्गापुरा गोसेवा संघ जयपुर— 10पीजीआईवीआरआई जयपुर— 36—— कुल 150फोटो — राज्य के अलग अलग गौशालाओं में सरोगेट मदर के जरिए जन्मे बछड़े व बछड़ियां।