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प्राइमरी के बच्चों पर सर्वे, सामने आए चौंकाने वाले परिणाम

locationजयपुरPublished: Feb 13, 2021 02:56:38 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

कोरोनाकाल ने देश के नौनिहालों की शैक्षणिक समझ-बूझ पर जबरदस्त प्रहार किया है। दस महीने तक स्कूल बंद रहने से बच्चे पिछली पढ़ाई भूल गए।

Survey on education and qualification of children in corona

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जयपुर। कोरोनाकाल ने देश के नौनिहालों की शैक्षणिक समझ-बूझ पर जबरदस्त प्रहार किया है। दस महीने तक स्कूल बंद रहने से बच्चे पिछली पढ़ाई भूल गए। हालांकि इस अवधि में ऑनलाइन कक्षाओं का दावा किया गया, मगर स्थिति यह है कि न केवल सरकारी बल्कि निजी स्कूलों के ज्यादातर बच्चे पढ़ाई में पिछड़ गए हैं। सबसे ज्यादा असर प्राइमरी कक्षाओं के बच्चों पर पड़ा है।
प्राइमरी कक्षाओं के 92 फीसदी बच्चे पिछली कक्षाओं में पढ़ी हुई हिंदी या अन्य भाषायी योग्यता तक भी नहीं पहुंचे। वहीं 82 फीसदी बच्चे पिछली कक्षाओं में पढ़ी गई विशेष गणितीय योग्यता भूल गए। बच्चों की पढ़ाई व योग्यता संबंधी चौंकाने वाले आंकड़े अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की ओर से कोरोनाकाल के दौरान जनवरी 2021 में किए गए सर्वे में सामने आए हैं। कोरोनाकाल के दौरान लर्निंग लॉस पर यह स्टडी पांच राज्यों के करीब 16 हजार छात्र-छात्राओं पर की गई।
यहां किया गया सर्वे
राज्य———स्कूलों———छात्राएं——–छात्र की संख्या
छत्तीसगढ़—–215————1623——-1313
कर्नाटक——-326———–2095——–1736
मध्यप्रदेश——-69———- 1033———-734
राजस्थान——-198———-2027——–1891
उत्तराखंड——229———-1990———1625
कुल———-1137———8768———7299

सर्वे में ये परिणाम आए सामने
कक्षा———–गणित———भाषायी समझ
दूसरी———-20 फीसदी—-बच्चे 1 से 9 के बीच के नंबर भी पहचान नहीं पाए
49 फीसदी—-बच्चे फोटो में दिखाए गए दैनिक कार्य (जैसे-नहाना, स्कूल जाना आदि) को भी देखकर बोल नहीं पाए
तीसरी———48 फीसदी—-बच्चे संख्या घटाने वाले सवाल नहीं कर पाए
50 फीसदी—-बच्चे कविता सुनने के बाद मौखिक प्रश्नों के जवाब नहीं दे सके
चौथी———70 फीसदी—-बच्चे 3 अंकों वाली संख्या में सबसे छोटी या बड़ी को नहीं पहचान पाए
29 फीसदी—-बच्चे फोटो देखने के बाद अपने शब्दों में 4-5 लाइन भी नहीं लिख पाए
पांचवीं———67 फीसदी—-बच्चे स्केल से किसी आकृति का माप नहीं ले पाए
61 फीसदी—-बच्चे लिखे गए टेक्स्ट व व्यक्तिगत विचार में अंतर नहीं बता पाए
छठी———40 फीसदी—-बच्चे 4 अंकों की संख्या को 1 अंक की संख्या से भाग नहीं दे पाए
43 प्रतिशत—-बच्चे एक पैराग्राफ के बाद प्रश्नों के जवाब नहीं दे सके।
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