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Importance Of Surya Puja जो सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना करते हैं भोजन उनके लिए स्कंदपुराण में लिखी यह बात

locationजयपुरPublished: Jan 17, 2021 12:37:50 pm

Submitted by:

deepak deewan

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Surya Puja Tips In Hindi Paush Mass Significance Of Paush Month

Surya Puja Tips In Hindi Paush Mass Significance Of Paush Month

जयपुर. सनातन ग्रंथों में सूर्य पूजा का सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है। धार्मिक और ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार सूर्य पूजन से राजकीय अनुग्रह, आरोग्य और यश—सम्मान प्राप्त होता है। पौष महीना तो खासतौर पर सूर्यदेव की पूजा का माह माना जाता है। इस माह में सूर्य को जल चढ़ाने मात्र से पापों और रोगों का नाश होता है तथा आयु और सुख में वृद्धि होती है।
ज्योतिषाचार्य पंडित सोमेश परसाई बताते हैं कि पौष माह में भगवान सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है। इस माह के स्वामी सूर्यदेव ही हैं। इस महीने में सूर्य धरती के करीब होते हैं जिसके कारण उनका प्रभाव और बढ़ जाता है। कहा गया है कि इस माह मे सूर्य अपनी 11 हजार रश्मियों के साथ धरती का पोषण करते हैं। सूर्य को धरती और स्वर्ग के बीच का केंद्र भी कहा गया है।
पौष माह में ही सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन यानि मकर संक्रांति को महापर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन की सूर्यपूजा त्वरित फलदायी होती है। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के साथ ही उत्तरायण शुरू हो जाता है। उत्तरायण में सूर्य ही देवताओं के अधिपति होते हैं। खास बात यह है कि इस अवधि में सूर्य अपने ही नक्षत्र यानी उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में रहता है।
ज्योतिषाचार्य पंडित नरेंद्र नागर के अनुसार 14 जनवरी को मकर संक्रांति के पहले 11 जनवरी को सूर्य उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में आ चुके हैं। सूर्यदेव यहां 24 जनवरी तक रहेंगे। इस अवधि में सुबह जल्दी उठकर सूर्यदेव को जल अर्पित करना चाहिए। सूर्यदेव को अर्घ्य देने का स्कंदपुराण में बहुत महत्व बताया गया है। इसमें सूर्यदेव को जल चढ़ाए बिना भोजन करने को पाप करने के समान बताया गया है।

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