यह हाल है जामडोली स्थित मानसिक विमंदित महिला-बाल कल्याण पुनर्वास गृह और राजकीय महाविद्यालय स्तरीय आदर्श देवनारायण बालिका छात्रावास का। इस परिसर में बने विमंदित गृह और छात्रावास के गेट के बाहर तो सुरक्षाकर्मी तैनात दिखते हैं लेकिन परिसर के मुख्य गेट पर न तो सुरक्षाकर्मी रहते हैं, न ही परिसर में आने-जाने वालों का लेखा-जोखा रखा जाता है। ऐसे में लड़कियों का छात्रावास होने के बावजूद लडक़े परिसर में बेरोकटोक घूमते हैं।
लाइटें हैं ना ही कोई गार्ड
पत्रिका टीम ने लगातार 2-3 दिन परिसर का जायजा लिया तो गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। गेट से छात्रावास तक रोड लाइटें तो लगी हुई थीं लेकिन चालू नहीं थीं। ऐसे में पूरे रास्ते में अंधेरा था। डरी-सहमी सी तेज कदमों से जा रहीं 2 कॉलेज छात्राओं से पूछा तो बोलीं, रास्ता सुनसान है और अंधेरा भी रहता है इसलिए डर लगता है। गेट के पास लडक़े बैठे रहते हैं इसलिए तेज कदमों से निकलना पड़ता है। पत्रिका टीम ने पुलिस चौकी के आसपास देखा तो वहां शराब की बोतलें पड़ी थीं। इस दौरान बाइक पर एक युवक परिसर में आया लेकिन पत्रिका टीम ने टोका तो तेजी से वापस निकल गया। कुछ छात्राओं का कहना था कि सुरक्षाकर्मी नहीं होने के कारण परिसर में कोई भी बेरोकटोक घुसता है। सुबह कई लडक़े परिसर में एक्सरसाइज करते हैं। परिसर में लावारिस पशु भी घूमते हैं।
पत्रिका टीम ने लगातार 2-3 दिन परिसर का जायजा लिया तो गेट पर कोई सुरक्षाकर्मी तैनात नहीं था। गेट से छात्रावास तक रोड लाइटें तो लगी हुई थीं लेकिन चालू नहीं थीं। ऐसे में पूरे रास्ते में अंधेरा था। डरी-सहमी सी तेज कदमों से जा रहीं 2 कॉलेज छात्राओं से पूछा तो बोलीं, रास्ता सुनसान है और अंधेरा भी रहता है इसलिए डर लगता है। गेट के पास लडक़े बैठे रहते हैं इसलिए तेज कदमों से निकलना पड़ता है। पत्रिका टीम ने पुलिस चौकी के आसपास देखा तो वहां शराब की बोतलें पड़ी थीं। इस दौरान बाइक पर एक युवक परिसर में आया लेकिन पत्रिका टीम ने टोका तो तेजी से वापस निकल गया। कुछ छात्राओं का कहना था कि सुरक्षाकर्मी नहीं होने के कारण परिसर में कोई भी बेरोकटोक घुसता है। सुबह कई लडक़े परिसर में एक्सरसाइज करते हैं। परिसर में लावारिस पशु भी घूमते हैं।
पुलिस चौकी भवन बना मनचलों का ठिकाना
परिसर में कानोता थाने का पुलिस चौकी भवन बना हुआ है लेकिन हमेशा बंद रहता है। छात्राओं और विमंदित गृह के बच्चों को तुरंत मदद पहुंचाने के लिए यह चौकी बनाई गई लेकिन यहां कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं रहता। अब यह चौकी मनचलों का ठिकाना बन रही है। मुख्य दरवाजे से कुछ कदम दूर बनी इस चौकी के चबूतरे पर मनचले सुबह-शाम बैठे देखे जा सकते हैं। इससे छात्रावासों में रहकर पढऩे वाली छात्राएं असहज होती हैं। शाम की शिफ्ट में कॉलेज से पढकऱ आने वाली छात्राओं को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है लेकिन जिम्मेदार मौन हैं।
परिसर में कानोता थाने का पुलिस चौकी भवन बना हुआ है लेकिन हमेशा बंद रहता है। छात्राओं और विमंदित गृह के बच्चों को तुरंत मदद पहुंचाने के लिए यह चौकी बनाई गई लेकिन यहां कोई पुलिसकर्मी तैनात नहीं रहता। अब यह चौकी मनचलों का ठिकाना बन रही है। मुख्य दरवाजे से कुछ कदम दूर बनी इस चौकी के चबूतरे पर मनचले सुबह-शाम बैठे देखे जा सकते हैं। इससे छात्रावासों में रहकर पढऩे वाली छात्राएं असहज होती हैं। शाम की शिफ्ट में कॉलेज से पढकऱ आने वाली छात्राओं को खासी परेशानी झेलनी पड़ती है लेकिन जिम्मेदार मौन हैं।