इंदौर: कचरे से बन रही गैस और खाद
—19 फरवरी को इंदौर में बायो—सीएनजी प्लांट की शुरुआत की गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। इस प्लांट में प्रतिदिन 550 मीट्रिक टन गीले कचरे का निस्तारण होगा। 17500 किलो बायो और 100 मीट्रिक टन कम्पोस्ट खान बनेगी। शहर की 400 सिटी बसों का संचालन इस प्लांट की गैस से होगा। साथ ही निगम को कम्पनी 2.52 करोड़ रुपए सालाना बतौर प्रीमियम देगी।
........................
जयपुर: न बिजली बनी, न हुआ कोई बदलाव
राजधानी जयपुर में लम्बे समय से कचरे से बिजली बनाने की फाइल चल रही है। कभी आर्थिक तंगी तो कभी अधिकारियों का आपसी तालमेल बिगड़ने से योजना छह वर्षों से मूर्तरूप नहीं ले पा रही है। यही हाल सी एंड डी वेस्ट के प्लांट का भी है।
1—बिजली नहीं बन पा रही: 182 करोड़ की लागत से 20 हैक्टेयर में लांगड़ियावास में बिजली बनाने का प्लांट प्रस्तावित है। 12 मेगावाट क्षमता का प्लांट लगना है। 12 घंटे प्लांट चलेगा तो 1.44 लाख यूनिट बनेगी। लेकिन इसको गति नहीं मिल पा रही है।
2—सी एंड वेस्ट का प्लांट भी अधर में लटका हुआ है। लांगड़ियावास में ही प्लांट लगाने का प्लान तैयार हो गया था। लेकिन, अतिरिक्त शर्तों की वजह से कम्पनी ने हाथ वापस खींच लिए। यदि यह प्रोजेक्ट धरातल पर आए तो 300 टन सीएंडडी वेस्ट निस्तारण रोज किया जा सकता है।
जयपुर: न बिजली बनी, न हुआ कोई बदलाव
राजधानी जयपुर में लम्बे समय से कचरे से बिजली बनाने की फाइल चल रही है। कभी आर्थिक तंगी तो कभी अधिकारियों का आपसी तालमेल बिगड़ने से योजना छह वर्षों से मूर्तरूप नहीं ले पा रही है। यही हाल सी एंड डी वेस्ट के प्लांट का भी है।
1—बिजली नहीं बन पा रही: 182 करोड़ की लागत से 20 हैक्टेयर में लांगड़ियावास में बिजली बनाने का प्लांट प्रस्तावित है। 12 मेगावाट क्षमता का प्लांट लगना है। 12 घंटे प्लांट चलेगा तो 1.44 लाख यूनिट बनेगी। लेकिन इसको गति नहीं मिल पा रही है।
2—सी एंड वेस्ट का प्लांट भी अधर में लटका हुआ है। लांगड़ियावास में ही प्लांट लगाने का प्लान तैयार हो गया था। लेकिन, अतिरिक्त शर्तों की वजह से कम्पनी ने हाथ वापस खींच लिए। यदि यह प्रोजेक्ट धरातल पर आए तो 300 टन सीएंडडी वेस्ट निस्तारण रोज किया जा सकता है।
इंदौर गए, सैर सपाटा किया और लौट आए
—पिछले पांच वर्षों में तीन बार निगम के अधिकारी सफाई व्यवस्था परखने और सीखने के लिए इंदौर गए। एक बार तो अधिकारियों की एक टीम चंडीगढ़ भी गई। इसमें लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन इन यात्राओं से शहर और यहां की जनता को कोई लाभ नहीं हुआ। सैर सपाटे से ज्यादा यात्राएं नहीं रहीं। अधिकारी वापस लौटकर योजना को मूर्तरूप नहीं दे पाए।
—पिछले पांच वर्षों में तीन बार निगम के अधिकारी सफाई व्यवस्था परखने और सीखने के लिए इंदौर गए। एक बार तो अधिकारियों की एक टीम चंडीगढ़ भी गई। इसमें लाखों रुपए खर्च किए, लेकिन इन यात्राओं से शहर और यहां की जनता को कोई लाभ नहीं हुआ। सैर सपाटे से ज्यादा यात्राएं नहीं रहीं। अधिकारी वापस लौटकर योजना को मूर्तरूप नहीं दे पाए।
1000 से अधिक अंकों की तैयारी अधूरी
—घर—घर कचरा संग्रहण फेल है। गीला—सूखा ही अलग नहीं हो पा रहा है। व्यवसायिक क्षेत्रों की सफाई नहीं हो रही है। नाले और वाटर बॉडी को कचरा मुक्त बनाना है, लेकिन इस पर कोई काम नहीं हुआ।
—प्रतिबंधित पॉलीथिन की बिक्री और उसके उपयोग पर रोक नहीं लग पाई है।
—कचरा बीनने वालों की सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं।
—घरेलू हानिकारक कचरा भी सामान्य कचरे के साथ ही जा रहा है।
—भवन निर्माण मलवे का निस्तारण भी अब तक दोनों निगम शुरू नहीं कर पाए हैं। सड़कों पर जगह—जगह ढेर लगे हैं।
—सर्वेक्षण से जुड़े सवाल भी शहरवासियों से पूछे जाएंगे, लेकिन इसको लेकर निगमों ने कोई अभियान अब तक नहीं चलाया है।