जयपुर शहर को फरवरी 2019 में ओडीएफ प्लस का दर्जा खुले में शौच रोकने के लिए किए प्रयासों में कच्ची बस्तियों में बनाए शौचालयों और जन सुविधा केंद्रों का लगातार रखरखाव करने पर दिया। निगम ने 2018 के स्वच्छता सर्वे से पहले शहर में 3000 शौचालयों का निर्माण करवाया गया था। इसके साथ ही करीब 700 जनसुविधा केंद्र बनाने के साथ 500 यूरीनल केंद्र बनाए गए थे। पुरूषों के लिए ब्लू और महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट विकसित किए थे। देश में जयपुर पहला शहर है जहां जनसुविधा केंद्रों के दिशा ***** बोर्ड लगाए। इन सबके चलते निगम के काम की हर ओर सराहना भी हुई। जयपुर शहर को ओडीएफ प्लस प्लस दर्जा भी मिल गया। लेकिन करीबन छह माह बाद ही निगम की लापरवाही ने पूरे काम पर पानी फेर दिया।
शहर में शौचालय गंदगी से उटे पड़े है। जिनकी सफाई हुए महीनों हो गए है। पानी की टंकिया टूट गई है नल गायब हो गए हैं। गंदगी निकासी के लिए बने पाइप टूट चुके हैं। जिसकी वजह से करोड़ों रूपए खर्च कर बनाए शौचालय अब बेकार हो गए हैं। जयपुर को स्वच्छता में 2018 के सर्वे में 39 वां स्थान प्राप्त हुआ था। स्वच्छ भारत अभियान की शुरुआत वर्ष 2013-14 में हुई थी, इसमें जयपुर जिला समूचे देश में 5 लाख 40 हजार 785 शौचालयों के निर्माण के साथ तीसरे स्थान पर रहा था। लेकिन वर्तमान स्थिति पूरे काम पर पानी फैरती नजर आ रही है