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अनूठी परम्परा : राजस्थान में यहां श्राद्ध में बिना मुनाफे के बिकती हैं मिठाइयां, दिवाली से ज्यादा बिक्री

locationजयपुरPublished: Sep 11, 2022 03:30:59 pm

Submitted by:

Kamlesh Sharma

Shradh Paksha 2022: बिना मुनाफे के किसी व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। हर कोई मुनाफे के लिए ही व्यवसाय-दुकान व प्रतिष्ठान का संचालन करता है।

sweets are sold without profit in shradh at bikaner

Shradh Paksha 2022: बिना मुनाफे के किसी व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। हर कोई मुनाफे के लिए ही व्यवसाय-दुकान व प्रतिष्ठान का संचालन करता है।

विमल छंगाणी
shradh paksha 2022: बिना मुनाफे के किसी व्यवसाय की कल्पना नहीं की जा सकती है। हर कोई मुनाफे के लिए ही व्यवसाय-दुकान व प्रतिष्ठान का संचालन करता है। लेकिन बीकानेर में श्राद्ध पक्ष के दौरान ऐसी दर्जनों मिठाई की दुकानों का संचालन होता है, जो लागत मूल्य पर बिना मुनाफे के मिठाइयों की बिक्री करते हैं। ऐसी दुकानों का संचालन सेवा समितियों और सेवाभावी लोगों की ओर से किया जा रहा है। शहरवासी इन दुकानों से बड़ी मात्रा में मिठाइयों की खरीदारी करते हैं। दिवाली से ज्यादा बिक्री इन 15 दिनों में हो जाती हैं।

इन दुकानों के संचालन से जुड़े लोगों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में करीब 200 दुकानों से 8 हजार किलोग्राम से भी अधिक मिठाइयां रोज बिकती हैं। यानी 15 दिन में 100 टन से ज्यादा मिठाइयों की बिक्री हो जाती है। शहर की स्थायी दुकानों पर बिकने वाली मिठाइयों को शामिल कर लें तो मिठाइयों की खपत 200 टन से ज्यादा बैठती है।

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गोगागेट क्षेत्र में ऐसी दुकान का संचालन करने वाले पंडित गायत्री प्रसाद शर्मा बताते है कि लागत मूल्य पर सेवा के ध्येय से ही पन्द्रह दिनों तक दुकान का संचालन करते हैं। लोग एडवांस बुकिंग भी करवाते हैं। नाना श्राद्ध तक दुकान का संचालन होता है। वहीं रतन लाल ओझा बताते है कि मुनाफा कमाना नहीं है, इसलिए शुद्धता और सेवा ही ध्येय रहता है। लोगों को कम लागत पर शुद्ध मिठाइयां उपलब्ध होती है।

इन मिठाइयों की रहती है मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान बीकानेर में इन बिना मुनाफे की दुकानों पर मोतीपाक, दिलखुशाल, पंधारी व गाल के लड़डू, गुलाब जामुन, जलेबी, काजू कतली आदि मिठाइयों की डिमांड रहती है। जिनको नो प्रोफिट नो लॉस के अनुसार बेचा जाता है।

गली-गली दुकानें, परकोटे में ज्यादा
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गली-मौहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों और कॉलोनी क्षेत्रों तक लगभग दो सौ ऐसी दुकानों का संचालन होता है। इनमें परकोटा क्षेत्र में अधिक दुकानें लगती हैं।

कम दाम, अधिक मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान हर घर में मिठाई की मांग रहती है। लोग अपने दिवंगत परिजनों की श्राद्ध तिथि के दिन ब्राह्मण भोजन सहित घर परिवार के सदस्यों के लिए भोजन में मिठाई अनिवार्य रूप से रखते हैं। इस दौरान पारम्परिक रुप से बनने वाली मिठाइयों की मांग अधिक रहती है। दाम भी मिठाई की दुकानों से कम होते हैं।

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