इन दुकानों के संचालन से जुड़े लोगों का कहना है कि श्राद्ध पक्ष में करीब 200 दुकानों से 8 हजार किलोग्राम से भी अधिक मिठाइयां रोज बिकती हैं। यानी 15 दिन में 100 टन से ज्यादा मिठाइयों की बिक्री हो जाती है। शहर की स्थायी दुकानों पर बिकने वाली मिठाइयों को शामिल कर लें तो मिठाइयों की खपत 200 टन से ज्यादा बैठती है।
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गोगागेट क्षेत्र में ऐसी दुकान का संचालन करने वाले पंडित गायत्री प्रसाद शर्मा बताते है कि लागत मूल्य पर सेवा के ध्येय से ही पन्द्रह दिनों तक दुकान का संचालन करते हैं। लोग एडवांस बुकिंग भी करवाते हैं। नाना श्राद्ध तक दुकान का संचालन होता है। वहीं रतन लाल ओझा बताते है कि मुनाफा कमाना नहीं है, इसलिए शुद्धता और सेवा ही ध्येय रहता है। लोगों को कम लागत पर शुद्ध मिठाइयां उपलब्ध होती है।
इन मिठाइयों की रहती है मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान बीकानेर में इन बिना मुनाफे की दुकानों पर मोतीपाक, दिलखुशाल, पंधारी व गाल के लड़डू, गुलाब जामुन, जलेबी, काजू कतली आदि मिठाइयों की डिमांड रहती है। जिनको नो प्रोफिट नो लॉस के अनुसार बेचा जाता है।
गली-गली दुकानें, परकोटे में ज्यादा
शहर के विभिन्न क्षेत्रों में गली-मौहल्लों से लेकर मुख्य मार्गों और कॉलोनी क्षेत्रों तक लगभग दो सौ ऐसी दुकानों का संचालन होता है। इनमें परकोटा क्षेत्र में अधिक दुकानें लगती हैं।
कम दाम, अधिक मांग
श्राद्ध पक्ष के दौरान हर घर में मिठाई की मांग रहती है। लोग अपने दिवंगत परिजनों की श्राद्ध तिथि के दिन ब्राह्मण भोजन सहित घर परिवार के सदस्यों के लिए भोजन में मिठाई अनिवार्य रूप से रखते हैं। इस दौरान पारम्परिक रुप से बनने वाली मिठाइयों की मांग अधिक रहती है। दाम भी मिठाई की दुकानों से कम होते हैं।