34 वर्षीय अश्विनी ने फूड डिलिवर करने को ही अपना पेशा चुना और वे इस काम में खुशी महसूस करती हैं। अश्विनी का मानना है कि समाज के बनाए परंपरागत खांचों को तोड़ महिलाएं कोई भी काम कर सकती हैं। फूड डिलीवरी के कार्य में अश्विनी को परिवार का पूरा सपोर्ट मिलता है।
ऐसे शुरु हुआ सफर
गुजरात के वड़ोदरा में जन्मीं और पली बढ़ीं अश्विनी सिर्फ 10 वीं तक पढ़ी हैं। इसके बाद उनकी शादी कर दी गई। इसके बाद अश्विनी सुपरवाइजर की नौकरी करने लगीं। लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा। ड्राइविंग पसंद रही है इसलिए मैंने सोचा कि फूड डिलिवरी के काम में मजा आएगा। मैंने कई जगह अप्लाई किया, लेकिन हर जगह यही कहा गया कि इस काम में सिर्फ पुरुष ही रहते हैं।” लेकिन किस्मत से स्विगी में डिलिवरी एग्जिक्यूटिव की नौकरी मिल गई। जब मैंने इस काम को शुरू किया था तो लोगों ने मुझे काफी सराहा और मेरा उत्साह बढ़ाया। अश्विनी गुजरात में स्विगी के साथ डिलिवरी पार्टनर के तौर पर काम करने वाली वो पहली महिला थीं।
गुजरात के वड़ोदरा में जन्मीं और पली बढ़ीं अश्विनी सिर्फ 10 वीं तक पढ़ी हैं। इसके बाद उनकी शादी कर दी गई। इसके बाद अश्विनी सुपरवाइजर की नौकरी करने लगीं। लेकिन यहां उनका मन नहीं लगा। ड्राइविंग पसंद रही है इसलिए मैंने सोचा कि फूड डिलिवरी के काम में मजा आएगा। मैंने कई जगह अप्लाई किया, लेकिन हर जगह यही कहा गया कि इस काम में सिर्फ पुरुष ही रहते हैं।” लेकिन किस्मत से स्विगी में डिलिवरी एग्जिक्यूटिव की नौकरी मिल गई। जब मैंने इस काम को शुरू किया था तो लोगों ने मुझे काफी सराहा और मेरा उत्साह बढ़ाया। अश्विनी गुजरात में स्विगी के साथ डिलिवरी पार्टनर के तौर पर काम करने वाली वो पहली महिला थीं।
फुल टाइम करती काम अश्विनी फुल टाइम स्विगी के साथ ही काम कर रही हैं। वे इसी साल अपनी मां और 12 साल की बेटी के साथ बेंगलुरु आई थीं। वे कहती हैं, ‘मैं चाहती थी कि मेरी बेटी को अच्छी शिक्षा मिले। इसीलिए मैं इस शहर में आई।’ मुझे कन्नड़ समझ में नहीं आती, लेकिन इससे मुझे किसी तरह की दिक्कत नहीं होती। यहां के लोग बेहद मददगार हैं। वे बेंगलुरु में कस्तूरी नगर, कल्याण नगर, बनासवाड़ी इलाकों में सर्विस करती हैं। कई बार तो वे एक दिन में 18 डिलिवरी कर देती हैं।