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बहुरुपिया बनकर और खतरनाक हुआ स्वाइन फ्लू वायरस, अब कैलिफोर्निया स्ट्रेन की जगह मिशिगन स्ट्रेन का प्रकोप

locationजयपुरPublished: Aug 30, 2017 08:36:00 am

Submitted by:

Abhishek Pareek

स्वाइन फ्लू का वायरस इस बार चेहरा बदल कर आया है। पहले इस वायरस का स्ट्रेन कैलिफोर्निया स्ट्रेन कहा जाता था लेकिन अब इसका नया नाम मिशिगन है।

Swine Flu
आवेश तिवारी/जयपुर। शहरी आबादी से ग्रामीण बस्तियों की ओर रुख कर चुका स्वाइन फ्लू का वायरस इस बार चेहरा बदल कर आया है। पहले इस वायरस का स्ट्रेन कैलिफोर्निया स्ट्रेन कहा जाता था लेकिन अब इसका नया नाम मिशिगन है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने भी स्वाइन फ्लू से प्रभावित लोगों की जांच में पाया है कि राजस्थान समेत अन्य राज्यों में अब मिशिगन स्ट्रेन की वजह से मौतें हो रही हैं। गौरतलब है कि इस साल अकेले राजस्थान में स्वाइन फ्लू से मरने वालों की संख्या 75 पार कर चुकी है। इस साल प्रभावित लोगों की संख्या भी 900 तक पहुंचने को है। केन्द्र सरकार द्वारा शुरू किए गए इंटिग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के अंतर्गत राजस्थान के नोडल अधिकारी डॉ. आदित्य आचार्य का भी मानना है कि स्वाइन फ्लू का स्ट्रेन बदला है। जो मौतें हो रही हैं, नए स्ट्रेन की वजह से हो रही हैं।
लैबोरेट्री टेस्टिंग में नेगेटिव आने के बावजूद रोगी को हो सकता है स्वाइन फ्लू

लैब से छिप सकता है
मिशिगन स्ट्रेन वाले वायरस की ताकत पहले वाले कैलिफोर्निया वायरस से ज्यादा है। मौतों का बड़ा कारण वायरस की देर से पहचान और इलाज देर से शुरू होना है। स्वाइन फ्लू के लिए जिम्मेदार एच-1 एन-1 वायरस ने चेहरा तो बदला ही, वह माइक्रोस्कोपिक और लैब टेक्नीशियन की निगाहों से छिपना भी जान गया है। सर्वाधिक दिक्कत यह है कि देश में कैलिफोर्निया स्ट्रेन से होने वाले स्वाइन फ्लू से बचने के टीके तो उपलब्ध हैं, मिशिगन स्ट्रेन से बचने के नहीं। पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया टीका बना रहा है।
कैसे मुकाबला करें
स्वाइन फ्लू की आशंका पर संबंधित मरीज को तत्काल ओसेलेटमिविर (एंटी वायरल) देना शुरू करें। स्वाइन फ्लू है तो दवा तत्काल असर दिखाएगी। एसएमएस अस्पताल के मेडिसिन विभाग के हेड प्रो. सीएल नवल का कहना है कि स्वाइन फ्लू का संदेह हो तो रोगी तो तत्काल दवा देना शुरू कर दें। इस रोग से होने वाली मौतों की बड़ी वजह यह है कि डॉक्टर दवा देने के लिए लैबोरेटरी रिपोर्ट का इन्तजार करते हैं। अक्सर देखा गया है कि इन्फेक्शन के 4-5 दिन बाद दवाएं दी गई जबकि इन्फेक्शन के 48 घंटे के अन्दर दवा दी जाए तो मरीज के बचने की उम्मीद ज्यादा हो जाती है।
– स्वाइन फ्लू से होने वाली मौतों के पीछे नया स्ट्रेन और रोगी को दवा देने में होने वाली देर, दोनों ही जिम्मेदार हैं।
डॉ. एसी धारीवाल, निदेशक, नेशनल सेंटर फोर डिजीज कंट्रोल।

– विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी नए मिशिगन स्ट्रेन के बारे में हमें सूचित किया है। स्वाइन फ्लू से मुकाबले के लिए टीम पूरी ताकत से लगी है।
स्टेट नोडल आफिसर, इंटिग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम, राजस्थान।
– रोगी की रिपोर्ट पॉजिटिव आई हो, फिर भी वह स्वस्थ दिख रहा हो तो भी उसका मानक तरीकों से इलाज करें।
प्रो. सीएल नवल, एचओडी, मेडिसिन, एसएमएस अस्पताल।

सामान्य दिख रहे व्यक्ति में भी हो सकता है संक्रमण
राजस्थान में मिशिगन स्ट्रेन वाले स्वाइन फ्लू वायरस का हमला भी नई किस्म का है। लैबोरेटरी टेस्टिंग में रिपोर्ट नेगेटिव आने का मतलब यह नहीं है कि प्रभावित व्यक्ति को स्वाइन फ्लू नहीं है। सामान्य दिख रहे व्यक्ति की जांच रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं आना सम्भव है।

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