पोकरण में शनिवार को ब्रह्मोस सुपरसोनिक लैंड क्रूज अटैक मिसाइल निर्धारित लक्ष्य को भेदकर परीक्षण में खरी उतरी। परीक्षण के दौरान सेना व रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
रक्षा सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पोकरण फील्ड फायरिंग रेंज में शनिवार सुबह 10 बजे मोबाइल ऑटोनोमस लॉन्चर (एमएएल) ब्रह्मोस का परीक्षण किया गया। परीक्षण को प्रशिक्षित सैन्यकर्मियों व अधिकारियों ने सफल बनाया।
ब्रह्मोस एयरोपस्पेस प्रमुख सुधीर मिश्रा ने बताया कि ब्रह्मोस मिसाइल ने एक बार फिर से अपनी क्षमताओं को साबित किया। जमीन, हवा व पानी से लक्ष्य भेदने में सक्षम इस मिसाइल की मारक क्षमता 290 किलोमीटर तक और गति ध्वनि से करीब तीन गुणा अधिक (माक- 2.8) है। मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए डीआरडीओ डीजी और रक्षास सचिव (आर एण्ड डी) डॉ. एस क्रिस्टोफर ने भारतीय सेना व ब्रह्मोस एयरोस्पेस के अधिकारियों को बधाई दी।
ब्रह्मोस मिसाइल के लैंड वर्जन को सेना में वर्ष 2007 से उपयोग/प्रचालित (ऑपरेशनलाइज) किया जा रहा है। इतना ही नहीं भारतीय सेना में ब्रह्मोस मिसाइल की तीन रेजिमेंट शामिल हैं।
इन खूबियों से भरपूर ब्रह्मोस
– यह हवा, पानी व जमीन से लक्ष्य भेद सकती है। हवा में ही मार्ग बदल सकती है और चलते फिरते लक्ष्य को भी भेद सकती है।
– इसको वर्टिकल या सीधे कैसे भी प्रक्षेपक से दागा जा सकता है।
– यह 10 मीटर की ऊंचाई पर उड़ान भर सकती है और रडार की पकड़ में नहीं आती।
– रडार के साथ ही यह किसी भी अन्य मिसाइल पहचान प्रणाली को धोखा देने में सक्षम है। इसको मार गिराना लगभग असम्भव है।
– ब्रह्मोस अमरीका की टॉम हॉक मिसाइल से लगभग दुगुनी अधिक तेजी से वार कर सकती है।
– आम मिसाइलों के विपरीत यह मिसाइल हवा को खींच कर रेमजेट तकनीक से ऊर्जा प्राप्त करती है।
– यह मिसाइल 1200 यूनिट ऊर्जा पैदा कर अपने लक्ष्य को तहस नहस कर सकती है।
भावी योजना
– ब्रह्मोस कोर्प अगले 10 साल में करीब 2000 ब्रह्मोस मिसाइल बनाएगा। इन मिसाइलों को भारतीय वायुसेना के करीब 40 सुखोई-30 एमकेआई लड़ाकू विमानों में लगाया जाएगा।