उन्होंने कहा कि पिछले जो बजट आए वह भी शत-प्रतिशत खर्च नहीं कर पाए, ऐसे में मौजूदा बजट पूरी तरह खर्च हो जाएगा, इसकी क्या गारंटी है। यह विधानसभा का अपमान है, क्योंकि जो बजट विधानसभा से पास होकर जाता है सरकार उसे पूरा भी खर्च नहीं कर पाती। उन्होंने नौकरशाही पर भी निशाना साधा और कहा कि प्रदेश की नौकरशाही बहुत सुस्त है। ब्यूरोक्रेट्स को लगता है अपन तो मत करो यह जाएंगे तो कोई और आएगा। यह बदलना चाहिए, क्योंकि ब्यूरोक्रेट्स अगर सुस्त है तो जनता कैसे सही हो सकती है, इसलिए अधिकारी और सरकार को चुस्त होना चाहिए।
सामाजिक न्याय की जरूरत उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति, जनजाति के इतने जनप्रतिनिधि आरक्षण के कारण सदन में आ गए तो लोगों को लगता है कि देश आगे बढ़ रहा है, लेकिन ऐसे देश आगे नहीं बढ़ेगा, जब तक इन समाजों में जागृति नहीं आएगी। हमें भाईचारा लाना होगा। इस देश में आज सामाजिक न्याय की सर्वाधिक जरूरत है। मंदिरों में पूजा की आजादी आज भी नहीं है। कई मंदिरों में आज भी सबका प्रवेश नहीं है। आज भी कुएं से पानी लाने, पानी भरने तक में भेदभाव और छुआछूत होता है। उन्होंने कहा कि मैंने राज्यपाल का अभिभाषण भी सुना और सीएम का भाषण भी, लेकिन इन दोनों में ही कहीं पर भी भाईचारा और बंधुत्व के लिए कोई जगह नहीं है।
गहलोत, राजे और डोटासरा को धन्यवाद मेघवाल ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और शिक्षामंत्री गोविंद डोटासरा को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि मैं जब कोरोना की चपेट में आकर 12 दिन तक जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा था तब गहलोत ने लगातार मेरे स्वास्थ्य पर निगरानी रखी। राजे ने भी इस विकट समय मेरी सुध ली। मेघवाल ने अस्पताल के डॉ. सुधीर भंडारी और स्पीकर सीपी जोशी को भी इस मामले में धन्यवाद दिया। साथ ही संविधान की प्रस्तावना पुस्तकों में शामिल कराने के लिए शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को भी धन्यवाद दिया।