खुद ही जुट गए काम में: श्रीजन शिक्षक बनने से पहले वायरिंग का कोर्स कर चुके हैं। उन्होंने घरों की वायरिंग को पूरा करने का जिम्मा खुद पर लिया। उनके साथ रमेशन, अर्जन पीएस, फहाद के, जीजेश और फैजल एम शिक्षकों ने भी मिलकर वायरिंग और फिटिंग करने के साथ ही घर के लंबित कार्यों को भी पूरा करने में मदद की।
खिल उठे बच्चों के चेहरे
करीब २० दिन बाद जब इन बच्चों के घरों में बिजली आई तो बल्ब की रोशनी देखकर छात्रों के चेहरे खिल उठे। ऑनलाइन अध्ययन के लिए डीवाइएफआइ समिति ने इन छात्रों के लिए स्मार्टफोन भी खरीदे हैं।
विद्युत विभाग ने भी की मदद
शिक्षक श्रीजन के अनुसार वायरिंग तो सिर्फ डेढ़ दिन में पूरी हो गई थी, लेकिन चट्टानी इलाकों पर अर्थिंग मुश्किल थी। फिर विद्युत विभाग से संपर्क किया। विभाग के दो अतिरिक्त विद्युत अर्थिंग बिछाने से समस्या दूर हुई।