जयपुर

कॉलेज आयुक्तालय के इस कदम को शिक्षक संघ ने बताया नियम विरूद्ध

प्रदेश के सरकारी कॉलेजों ( government colleges ) के शिक्षकों की परीक्षा लेने के कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ( College Education Commissionerate ) के निर्देश पर शिक्षकों का एक संघ विरोध में उतर आया है।

जयपुरJun 25, 2020 / 05:06 pm

Ashish

कॉलेज आयुक्तालय के इस कदम को शिक्षक संघ ने बताया नियम विरूद्ध

जयपुर
College Education Commissionerate : प्रदेश के सरकारी कॉलेजों ( government colleges ) के शिक्षकों की परीक्षा लेने के कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय ( College Education Commissionerate ) के निर्देश पर शिक्षकों का एक संघ विरोध में उतर आया है। संघ ने कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय के इस कदम को नियम विरूद्ध बताते हुए उच्च शिक्षामंत्री भंवर सिंह भाटी ( Higher Education Minister Bhanwar Singh Bhati ) को पत्र लिखकर विरोध जताया है। कॉलेज आयुक्त प्रदीप बोरड़ ने राजकीय कॉलेजौं के 4500 शिक्षकों को पत्र लिखकर उन्हें प्रश्न पत्र भी भिजवाया है। शिक्षकों को इसे हल करके 2 जुलाई तक आयुक्तालय की अकादमिक शाखा में भिजवाना के निर्देश दिए गए हैं।

दरअसल , इस प्रश्न पत्र में पिछले वर्षों की सिविल सेवा, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, नेट, स्लेट इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं के प्रश्न पत्रों के सवालों को शामिल किया गया है। कॉलेजों में गुणात्मक अभिवृद्धि के लिए लगातार प्रयास किए जा रहें हैं। इसी कड़ी में यह कार्यक्रम भी शुरु किया गया है। कॉलेज आयुक्तालय ने शिक्षकों के लिए वेक-अप (वी-एस्पायर टू नॉलेज एनहेंन्समेंट एंड अपडेशन प्रोग्राम शुरु किया गय है।
आयुक्तलय की यह मंशा
कॉलेज आयुक्तालय की ओर से शुरू किए गए इस कार्यक्रम के पीछे बड़ा कारण है कि ज्यादातर विद्यार्थी राजकीय सेवा में अपना भविष्य देखते हैं। वहीं, प्रतियोगी परीक्षा का प्रारूप प्रतिवर्ष बदल रहा है। विद्यार्थी को सही मार्गदर्शन देने के लिए इन प्रारूपों की जानकारी होना आवश्यक है। इसके आलावा अधिकांश प्रतियोगी परीक्षाओं का पाठ्यक्रम स्नातक स्तरीय होता है। अत: विद्यार्थियों को सही मार्गदर्शन के लिए जरूरी है कि शिक्षकों को भी प्रतियोगी परीक्षाओॆ के मॉडयूल की जानकरी होनी चाहिए।
ऐसा करवाना नियम विरूद्ध
वहीं, कॉलेज आयुक्तालय की इस कवायद पर राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) ने उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाटी को ज्ञापन भेजकर विरोध किया है। प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिग्विजय सिंह शेखावत ने बताया कि कॉलेज प्राध्यापकों का मूल्यांकन करवाना नियमविरुद्ध एवं भेदभावपूर्ण हैं। राज्यसेवा के स्तर के अधिकारियों का किसी विभाग में परीक्षा का प्रावधान नहीं है। महाविद्यालय शिक्षक उच्च योग्यताधारी होते हैं। विभाग कॉलेजों में बेसिक सुविधाओं का विकास करने, शोध को बढ़ावा देने, शैक्षणिक गुणवत्ता बढ़ाने पर ज्यादा ध्यान दे तो बेहतर साबित होगा।

इन पर ध्यान देने की जरूरत
संगठन के प्रदेश महामंत्री डॉ नारायण लाल गुप्ता का कहना है कि महाविद्यालय में शोध बढ़ाने तथा शैक्षणिक गुणवत्ता हेतु मूलभूत अवसंरचना विकसित करने, प्राचार्य, सहायक आचार्य, अशैक्षणिक स्टाफ नियुक्त करने के स्थान पर उच्च शिक्षा विभाग ने प्रतियोगी परीक्षाओं एवं अन्य नवाचारों पर ही अधिक ध्यान केंद्रित किया है। जबकि कॉलेज लगभग 2500 शिक्षकों, 90 प्रतिशत प्राचार्यों तथा बड़ी संख्या में अशैक्षणिक स्टाफ की कमी से जूझ रहे हैं। अनावश्यक रूप से इस पर खर्चा होगा। पहले ही सरकार वित्तीय संकट से जूझ रही है। यह राशि कॉलेजों में विकास पर खर्च होती तो ज्यादा अच्छा होता।

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