डॉ. पाठक ने बताया कि लहरियां राजस्थानी परंपरा (Customs & Traditions of Rajasthan) का प्रमुख परिधान है और तीज सिंजारा पर इसके खास महत्व को देखते हुए विभाग की ओर से लहरिया उत्पादकों और जयपुरवासियों को जोडऩे के कदम बढ़ाए हैं। राजस्थान खाद्य व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबू लाल गुप्ता ने उद्योग विभाग की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि राजस्थानी परिधानों की समृृद्ध परंपरा रही है। उन्होंने बताया कि ओढ़णी, पीला, ओझरियां, पोमचा आदि आदि परंपरागत परिधान रहे हैं और आज भी इनकी विशिष्ठता और पहचान है। एमआईरोड व्यापार संघ के अध्यक्ष सुरेश सैनी ने कहा कि राजस्थली को राजस्थानी हस्तशिल्प ( handicraft of rajasthan) के केंद्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि तीज लहरिया उत्सव में सक्रिय भागीदारी निभाते हुए अधिक से अधिक जयपुरवासियों को लाभान्वित किया जएगा। उद्यम प्रोत्साहन संस्थान के एमडी संजीव सक्सेना व ईडी एसएस शाह ने तीज लहरियां उत्सव की तैयारियों की जानकारी देते हुए बताया कि पांच दिवसीय उत्सव अजमेरी गेट स्थित राजस्थली मॉल मेें आयोजित किया जाएगा।