scriptटेलीकॉम कंपनियों हो सकती है कड़ी कार्रवाई | Telecom companies may take tough action | Patrika News

टेलीकॉम कंपनियों हो सकती है कड़ी कार्रवाई

locationजयपुरPublished: Feb 15, 2020 08:46:28 pm

सूत्रों के अनुसार शनिवार को अधिकतर कार्यालयों में छुट्टी होने की वजह से दूरसंचार विभाग ( Department of Telecommunications ) सोमवार शाम तक का इंतजार कर सकता है। अगर इस समय तक भी पैसा ( money ) नहीं लौटाया जाता है, तो लाइसेंस नियमों के तहत जुर्माना और कड़ी कार्रवाई ( strict action ) का नया नोटिस ( new notice ) भेजा जाएगा।

टेलीकॉम कंपनियों हो सकती है कड़ी कार्रवाई

टेलीकॉम कंपनियों हो सकती है कड़ी कार्रवाई

दूरसंचार विभाग के एक अधिकारी ने कहा डीओटी ने टेलीकॉम कंपनियों को रिमाइंडर और सजा के प्रावधान के साथ पांच नोटिस भेजे। ये नोटिस 31 अक्तूबर, 13 नवंबर, 2 दिसंबर, 20 जनवरी और अब 14 फरवरी को भेजे गए हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक टेलीकॉम कंपनियों को पैसा चुकाना ही होगा और विभाग ने उन्हें कभी भी अतिरिक्त समय नहीं दिया। अब टेलीकॉम कंपनियों कह रही हैं कि सोमवार तक वे कुछ रकम चुका देंगे, लेकिन हर देरी के साथ कार्रवाई की जाएगी।शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद दूरसंचार विभाग ने कंपनियों को शुक्रवार रात 11.59 बजे तक बकाया चुकाने के लिए नोटिस जारी किया था। टेलीकॉम कंपनियों पर लाइसेंस शुल्क के रूप में 92,642 करोड़ रुपए और स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क के रूप में 55,054 करोड़ रुपए बकाया हैं। कुल मिलाकर इन कंपनियों के ऊपर केंद्र सरकार के 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दूरसंचार विभाग को आदेश की अवमानना करने पर कड़ी फटकार लगाई थी। शीर्ष अदालत ने टेलीकॉम कंपनियों को 17 मार्च तक बकाया जमा करने का आदेश भी दिया था। साथ ही उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग के डेस्क अधिकारी के उस आदेश पर रोष जताया था, जिसके तहत एजीआर मामले में दिए गए फैसले के अनुपालन पर रोक लगाई गई थी। दूरसंचार विभाग द्वारा 14 फरवरी को भेजे गए नोटिस के बारे में अधिकारी ने बताया कि यह नोटिस आतंरिक प्रक्रियाओं लिए जारी किया गया था, ताकि किसी तरह की जटिलता से बचा जाए।
दूरसंचार विभाग के सूत्रों ने कहना है कि दूरसंचार विभाग ने कोई भी आदेश टेलीकॉम ऑपरेटरों को नहीं भेजा था। कंपनियों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। शीर्ष अदालत ने याचिका को स्वीकार करते हुए मामले को भुगतान की अंतिम तारीख से ठीक पहले सूचीबद्ध किया। इस वजह से विभाग के पास कोर्ट के समक्ष कोई स्पष्टीकरण देने का समय नहीं मिला। इस वजह से अवमानना से बचने के लिए विभाग ने आंतरिक आदेश जारी कर दिया।
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