scriptटेलिकॉम इंडस्ट्री गंभीर संकट में | Telecom industry in serious trouble | Patrika News

टेलिकॉम इंडस्ट्री गंभीर संकट में

locationजयपुरPublished: Dec 25, 2019 07:55:00 pm

नई दिल्ली। दुनिया की सबसे सस्ती टेलिकॉम (telecom) सेवाएं देने वाला भारत का दूरसंचार उद्योग ( Telecom industry ) आज की तारीख में भारी संकट के दौर से गुजर रहा है। संकट कितना बड़ा है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वोडाफोन ( Vodafone ) के प्रबंधन ने साफ तौर पर कह दिया है कि अगर सरकार ने उसकी मदद नहीं की तो कंपनी पर ताला लगने में ज्यादा वक्त नहीं लगेगा। दरअसल, टेलिकॉम इंडस्ट्री अरबों डॉलर के कर्ज में डूबी है और ऊपर से जियो द्वारा छेड़े गए प्राइस वॉर ने इसकी कमर तोड़कर रख दी है। हालत यह ह

टेलिकॉम इंडस्ट्री गंभीर संकट में

टेलिकॉम इंडस्ट्री गंभीर संकट में

सुप्रीम कोर्ट द्वारा नॉन-कोर रेवेन्यू को भी कंपनियों के ग्रॉस अडजस्टेड रेवेन्यू में शामिल करने के आदेश से मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाली कंपनी जियो तथा पुरानी टेलिकॉम कंपनियों के बीच प्रतिद्वंद्विता और बढ़ गई है, हालांकि टैरिफ बढ़ाने तथा रेग्युलेटर द्वारा फ्लोर या न्यूनतम टैरिफ तय करने के लिए किए जा रहे हस्तक्षेप का दोनों पक्षों द्वारा समर्थन करने के संकेत मिले हैं।
सेल्यूलर ऑपरेटर्स असोसिएशन ऑफ इंडिया के महानिदेशक राजन मैथ्यूज ने कहा, ‘हम ऑल नेटवर्क से एक हाइब्रिड नेटवर्क और जल्द ही एक ऑल डेटा नेटवर्क की तरफ शिफ्ट करेंगे।Ó अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए एक फ्लोर प्राइस की तत्काल जरूरत है। साल 2019 में अमेरिका में 1 जीबी मोबाइल डेटा की कीमत 12.37 डॉलर और ब्रिटेन में 6.66 डॉलर रही, जबकि भारत में महज 0.26 डॉलर है, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे सस्ता डेटा उपलब्ध कराने वाला देश बनकर उभरा है। साथ ही, यह दुनिया का सबसे तेजी से बढऩे वाला टेलिकॉम मार्केट है।
लेकिन साल 2016 में जियो के लॉन्च होने के बाद डेटा की कीमतें इतनी घट गई कि पूरा सेक्टर खोखला हो गया। और जब 24 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की याचिका पर बकाये का भुगतान एजीआर की नई परिभाषा के आधार पर करने का आदेश दिया तो देश की दूसरी सबसे बड़ी दूरसंचार सेवा प्रदाता कंपनी वोडाफोन-आइडिया लिमिटेड ने चेतावनी देते हुए साफ कर दिया कि अगर राहत नहीं मिली तो कंपनी बंद हो जाएगी। फिलहाल इंडस्ट्री पर 1.47 लाख करोड़ रुपए का बकाया है।
समझने वाली बात यह है कि एक समय इस इंडस्ट्री में 7-8 कंपनियां होती थी, जो घटकर तीन पर पहुंच गई और चौथी कंपनी सरकारी है। ऐसी स्थिति में वोडाफोन-आइडिया की चेतावनी ताबूत की आखिरी कील की तरह लगती है। प्राइस वॉर में एयरटेल तथा वोडा-आइडिया को रेकॉर्ड घाटा हुआ, जबकि जियो का फायदा साल दर साल बढ़ता गया। दूरसंचार कंपनियों का प्रतिनिधित्व करने वाला संगठन सीओएआई चाहता है कि ट्राई मार्च से पहले जल्द से जल्द डेटा के लिए फ्लोर प्राइस लाए। बकाये को लेकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मद्देनजर, 28,450 करोड़ रुपए की प्रोविजनिंग करने से एयरटेल को 30 सितंबर को समाप्त हुई तिमाही में 23,045 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ। एयरटेल तथा वोडाफोन-आइडिया दोनों ही कंपनियों ने सरकार से इंट्रेस्ट तथा पेनल्टी में राहत की मांग की है और सुप्रीम कोर्ट में एक समीक्षा याचिका भी दायर की है।

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