52 साल की लाइफ के बाद सीएम आवास के पास बनी पानी की टंकी होगी जमींदोज
इस टंकी से मुख्यमंत्री, राज्यपाल आवास से लेकर मंत्रियों के सरकारी बंगलों में पेयजल सप्लाई की जाती रही है। यह टंकी सीएम हाउस से करीब 150 मीटर दूरी पर ही है और इसकी निर्धारित लाइफ पूरी हो चुकी है। कई जगह से जर्जर हालत भी हैं। एमएनआईटी (मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलोजी) की जांच में भी इसके हटाने की जरूरत जताई गई।।
इस टंकी से मुख्यमंत्री, राज्यपाल आवास से लेकर मंत्रियों के सरकारी बंगलों में पेयजल सप्लाई की जाती रही है। यह टंकी सीएम हाउस से करीब 150 मीटर दूरी पर ही है और इसकी निर्धारित लाइफ पूरी हो चुकी है। कई जगह से जर्जर हालत भी हैं। एमएनआईटी (मालवीय नेशनल इंस्टीट्यूट आॅफ टैक्नोलोजी) की जांच में भी इसके हटाने की जरूरत जताई गई।।
पहली टंकी, जो 3 बार भरी जाती है..
इस टंकी क्षमता 4.50 लाख लीटर है, जिसे दिन में तीन बार भरा जाता है। इसे हर दिन 13.50 लाख लीटर पेयजल सप्लाई की जा रही है। पहली टंकी है जो दिन में तीन बार भरी जा रही है। यहां से मैसूर हाउस, बरवाड़ा हाउस, अचरोल हाउस में भी सप्लाई जा रही है। अभी यहां दो भूमिगत टैंक है। एक 3 लाख लीटर और दूसरा 2.50 लीटर क्षमता का है। दोनों को एक साथ मैनेज करने में दिक्कत आ रही है टंकी के पास ही भूमिगत टैंक बनाने का प्रस्ताव है।
फैक्ट फाइल…
-वर्ष 1965 में शुरू हुआ था टंकी का निर्माण
-वर्ष 1967 में निर्माण पूरा हुआ था
-7.47 लाख रुपए की वित्तीय-प्रशासनिक स्वीकृति मिली है
-6.35 लाख रुपए की तकनीकी स्वीकृति जारी की गई
-पहली टंकी है जब जलदाय विभाग अस्तित्व में आया
इस टंकी क्षमता 4.50 लाख लीटर है, जिसे दिन में तीन बार भरा जाता है। इसे हर दिन 13.50 लाख लीटर पेयजल सप्लाई की जा रही है। पहली टंकी है जो दिन में तीन बार भरी जा रही है। यहां से मैसूर हाउस, बरवाड़ा हाउस, अचरोल हाउस में भी सप्लाई जा रही है। अभी यहां दो भूमिगत टैंक है। एक 3 लाख लीटर और दूसरा 2.50 लीटर क्षमता का है। दोनों को एक साथ मैनेज करने में दिक्कत आ रही है टंकी के पास ही भूमिगत टैंक बनाने का प्रस्ताव है।
फैक्ट फाइल…
-वर्ष 1965 में शुरू हुआ था टंकी का निर्माण
-वर्ष 1967 में निर्माण पूरा हुआ था
-7.47 लाख रुपए की वित्तीय-प्रशासनिक स्वीकृति मिली है
-6.35 लाख रुपए की तकनीकी स्वीकृति जारी की गई
-पहली टंकी है जब जलदाय विभाग अस्तित्व में आया