scriptविश्व में लगातार बढ़ रहा है तनाव | Tension is increasing continuously in the world | Patrika News

विश्व में लगातार बढ़ रहा है तनाव

locationजयपुरPublished: Jan 23, 2020 07:43:30 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

विश्व में लगातार बढ़ रहा है तनावबढ़ रहा है अंतर, परेशान है युवाक्लाइमेट चेंज, इकोनॉमी एक दूसरे का हिस्सामहिलाओं को नहीं मिल रहा बराबरी का दर्जा

विश्व में लगातार बढ़ रहा है तनाव

विश्व में लगातार बढ़ रहा है तनाव


आज पूरे विश्व में असमानता और डर का माहौल है। इसका असर इकोनामिक ग्रोथ और सेफ्टी पर भी पड़ रहा है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है, क्लाइमेट चेंज हो रहा है। वर्तमान परिस्थितियों में लगातार वॉर का खतरा भी बढ़ रहा है। वर्तमान परिदृश्य पर आज जेएलएफ के फ्रंट लॉन में नवदीप सूरी, फिनटेन ओ टूल, ओमार गोबाश और मार्कस मोक ने रजनी वैद्यनाथन के साथ चर्चा की। चर्चा के दौरान ईरान और अमरीका के बीच बढ़ रहे तनाव के बीच विश्व की स्थिति पर भी चर्चा हुई, जिसमें विशेषज्ञों का कहना था कि देशों के बीच में वॉर तो नहीं हो रही, लेकिन इससे विश्व में तनाव बढ़ रहा है।
लगातार बढ रही असमानाता पर मार्कस ने कहा कि यूएस में 50 फीसदी लोग इनइक्वलिटी को फेस कर रहे हैं लेकिन इसके कारण अलग अलग हैं। जहां तक हाउसिंग केपिटल या आर्थिक वृद्धि की बात करें तो हमारे समय में यह तीस फीसदी थी और अब मेरी बेटी के समय यह घटकर चार फीसदी रह गई है। उन्होंने कहा कि वेस्टर्न सोसायटी में यूएस मेडिकल सिस्टम अगर क्लाइमेट चेंज पर काम नहीं करता तो इसके परिणाम काफी खतरनाक हो सकते हैं। वर्तमान में पॉलिटिकल सिस्टम पेशर और फीयर में चल रहा है, हम कह नहीं सकते की कहा जा रहे हैं। सीधे शब्दों में कहे तो दबाव बढ़ रहा है, लेकिन दिशा नहीं मिल रही है।
भारत का युवा बेरोजगारी से परेशान
नवदीप सूरी ने कहा कि भारत का युवा आज बेरोजगारी परेशान है। सरकार कुछ काम नहीं करेगी तो प्रदर्शन बढ़ेंगे, जो कि एक डेमोग्रफिक डिविडेंट या टाइम बॉम्ब की तरह होगा। आर्थिक परेशानी बढ़ रही है, वहीं पुरानी पीढ़ी से भी यूथ डिस्कनेक्ट हो रहा है। यूथ को डायरेक्शन मिलना चाहिए कि वो अपनी एनर्जी कहां यूज करे।
फिनटेन ओ टूल ने कहा कि पिछले दशक में कुछ ग्रेट इनोवेशन हुए, इसमें प्रमुख रुप से आइटी, इंटरनेट, बॉयोमेडिकल चेंज हयूमन जिनोमिक्स पर काम हुआ। ये पब्लिक प्रोजेक्ट हैं, जनता के पैसे से इन पर काम हुआ, फिर ये निजी क्षेत्र ने हाइजेक कर लिया। गूगल इसका उदाहरण है जो कि अब टू ट्रिलियन डालर की कंपनी बन गई। कहा जाए तो पब्लिक इनोवेशन का फायदा कंपनियों को मिल रहा है।
इक्विटी व इकोनॉमी क्लाइमेट चेंज से अलग नहीं
मार्कस ने कहा कि क्लाइमेट चेंज एक बड़ा एजेंडा और इस पर सोशल और पॉलिटिकल लेवल पर काम करने की जरूरत है। आस्ट्रेलिया में जो हुआ वो सब देख रहे है, वहां पर लोगों में इसको लेकर नाराजगी है। जब तक कुछ बड़ा नहीं होता इस पर काम करने की कोई नहीं सोचता। उन्होंने कहा कि देशों में तनाव है जो कि इकोनामी की ग्रोथ को भी रोक रहा है।
क्लाइमेट चेंज व अन्य समस्याओं के समाधान पर जवाब देते हुए नवदीप ने कहा कि जो हो रहा है उसकी कीमत हम सब चुका रहे है, यह एक इश्योरेंस पॉलिसी है जिसका हम दुरुपयोग कर रहे हैं। इक्विटी व इकोनॉमी को आप क्लाइमेट चेंज से अलग नहीं कर सकते है।
वर्क फोर्स में घटी महिलाएं
फिनटेन ने महिलाओं को बराबरी के दर्जे पर कहा कि चालीस साल पहले पॉलिटिकल लीडर ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया पर अब तक यह 2रू1 के अनुपात में है। लीडरशिप में आई है पर बहुत ज्यादा फेवरेट नहीं है। नवदीप ने कहा कि भारत में महिलाएं भले ही उचे पद पर पहुंंच रही हैं, लेकिन पिछले दस साल में वर्क फोर्स में महिलाएं घट रही हैं। युवा महिलाएं जो शहर में रह रही हैं वो काम नहीं कर रही, लॉ एंड आर्डर, मेल डोमिनेंट, इन इक्वालिटी कुछ भी कारण हो सकता है।
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