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तंबू उखड़े लेकिन किसानों के हौंसले बुलंद

locationजयपुरPublished: Mar 31, 2021 05:41:18 pm

Submitted by:

Rakhi Hajela

उखड़े तंबू दुरस्त करने में जुटे किसान

तंबू उखड़े लेकिन किसानों के हौंसले बुलंद

तंबू उखड़े लेकिन किसानों के हौंसले बुलंद


शाहजहांपुर खेड़ा बॉर्डर पर लगातार आंधी तूफान के किसानों के तंबू उखड़ गए लेकिन उनका हौंसला बुलंद रहा। किसानों ने उखड़े तंबूओं को दुरस्त करने का काम शुरू कर दिया। उनका कहना था कि तेज धूल भरी आँधी को चलते आज तीसरा दिन है लकिन किसानों के हौंसले टस से मस नहीं हुए हैं। शाहजहाँपुर बॉर्डर पर अभी भी हम डटे हुए है और हर मुश्किल घड़ी से लड़ रहे है और लड़ते रहेंगे, क्योंकि गिरते हैं शहसवार ही मैदान ए जंग में, वो तीफ्ल क्या गिरे जो घुटनों के बल चले। बुधवार को भी मोर्चे पर आमसभा के स्थान पर अलग अलग समूहों में चर्चाओं का आयोजन किया गया। इन समूह.चर्चाओं में किसानों ने आज बीजेपी और आर एस एस के आजादी के पहले और बाद के इतिहास पर विस्तार.पूर्वक चर्चा की। आमसभा में किसान नेताओं का कहना था कि आरएसएस ने आजादी की किसी लड़ाई में कोई हिस्सेदारी नहीं निभाई और अंग्रेजों और राजे रजवाड़ों की पैरोकार बनकर उस दौर में देश मे साम्प्रदायिक विभाजन को बढ़ावा दिया। आज भी बीजेपी.आरएसएस और उनकी केंद्र सरकार देशी विदेशी पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों की हितैषी बनी हुई है और पहले भी रही है। देश की जनता की दृष्टि इन नीतियों पर ना पड़े या इनकी पूंजीपति हितैषी का विरोध मजबूत ना कर पाए इसलिए भाजपा.आरएसएस हमेशा देश में साम्प्रदायिक विद्वेष का माहौल बना कर रखते हैं।
आज की इन समूह चर्चाओं में अमराराम, राजाराम मील, तारा सिंह सिद्धू, डॉ. संजय माधव, पवन दुग्गल, अनिल जीतरवाल, बनवारी, रामकेश मीणा आदि ने अलग अलग समूहों में किसानों के साथ समूह.चर्चाओं में हिस्सा लेते हुए आरएसएस और बीजेपी की नीतियों के विभिन्न पहलुओं को स्पष्ट करते हुए समाज के अलग अलग हिस्सों पर होने वाले प्रभावों को स्पष्ट करते हुए किसानों की जिज्ञासाओं का समाधान किया।
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