स्क्रिप पर इस डिस्काउंट से आयातक, निर्यातकों की कीमत पर अनुचित लाभ उठा रहे हैं। कुल 16 अरब डॉलर के परिधान निर्यात में 5 फीसदी रीइंबर्समेंट है, जो लगभग 6000 करोड़ रुपए बनता है। व्यापक स्तर पर इस पर 20 फीसदी का डिस्काउंट चल रहा है। इससे परिधान क्षेत्र के कमजोर मार्जिन पर लगभग 1500 करोड़ का सीधा असर पड़ रहा है। अगर सरकार इस संरचना में तुरंत बदलाव नहीं करती है, तो उद्योग अपनी प्रतिस्पर्धा की बढ़त खो सकता है। सरकारी मदद का अभाव एक बार फिर मांग को अन्य कम लागत वाले देशों में स्थानांतरित कर देगी। जीईएमए के सदस्य हरीश आहूजा ने कहा कि अभी स्क्रिप की मांग काफी कम है, ऐसे में निर्यातकों को उन आयातकों को खोजने में मुश्किल हो रही है, जो आरओएससीटीएल योजना के तहत प्राप्त की गई स्क्रिप को खरीद सकें। इसका मतलब कि आयातक केवल 20 फीसदी तक के भारी डिस्काउंट पर ही स्क्रिप खरीदने की पेशकश कर रहे हैं।