स्वयं सहायता समूहों के उत्पादों को पहचान दिलाने के लिए जवाहर कला केन्द्र में प्रदर्शनी लगाई गई है। कई उत्पादों का मौके पर ही निर्माण हो रहा है। यहां देश के 18 राज्यों के 250 जीआइ टैग वाले उत्पाद उपलब्ध हैं। उन्हें एक जगह प्रदर्शित करने के लिए जीआइ ट्री भी बनाया गया है।
राजस्थान ग्रामीण आजीविका विकास परिषद की ओर से राज्य स्तरीय प्रदर्शनी के माध्यम से महिलाओं को हुनर को सामने लाने के लिए बड़े स्तर पर पहल की है। परियोजना निदेशक अजय कुमार आर्य ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देश पर गुणवत्ता वाले उत्पादों को जीआइ टैग दिलाने के प्रयास करेंगे। ऐसे उत्पादों के लिए परिषद ने राज सखी ब्रांड के नाम पर मार्केट में लॉन्च करना शुरू किया है।
राज्य के इन उत्पादों मिल चुका है जीआइ टैग अब तक राज्य में सोजत की मेहंदी, कोटा डोरिया, जयपुर की ब्लू पॉटरी, मोलेला क्ले वर्क, राजस्थान की कठपुतली, सांगानेरी हैंड ब्लॉक प्रिंट, थेवा आर्ट वर्क, पोकरण पॉटरी, नाथद्वारा पिछवाई पेंटिंग, उदयपुर कोफ्तगिरी मेटल क्रॉफ्ट, बीकानेरी भुजिया, बीकानेर कशीदाकारी क्रॉफ्ट, जोधपुर बंधेज क्रॉफ्ट, बीकानेर उस्ता कला क्रॉफ्ट, मकराना मार्बल, कोटा डोरिया लोगो, ब्लू पॉटरी लोगो, मोलेला क्ले आर्ट ऑफ राजस्थान लोगो और कठपुटली ऑफ राजस्थान लोगो को जीआइ टैग हासिल है।
यह है स्थिति 604 से ज्यादा उत्पादों को देशभर में जीआइ टैग मिला हुआ है 20 उत्पाद राजस्थान के जिन्हें जीआइ टैग मिला है 4 लाख स्वयं सहायता समूह हैं राजस्थान में
48 लाख सदस्य हैं स्वयं सहायता समूहों में