जयपुर। कॉरपोरेट
घरानों और चहेतों को खान की बंदरबांट से चर्चा में आए खान विभाग में लगता है
भ्रष्टाचार की बयार चल रही है। खान विभाग के अफसरों ने मकराना में अवैध खनन के
मामले में अपने ही दो अधिकारियों की जांच को बड़ी चतुराई से तीसरी जांच में
लीपापोती करके उलट दिया। नतीजा यह निकला कि उनसे 18 करोड़ रूपए की वसूली रूक
गई।
दिलचस्प बात यह है कि सरकार के आदेश पर हुई तीसरी जांच के बाद विभाग ने
अपने ही अधिकारी की ओर से दर्ज कराए आपराधिक मामले में अदालत में बयान दे दिए कि वह
कोई कार्रवाई नहीं चाहते। इस प्रकरण में एक मंत्री की भूमिका पूरे विभाग में चर्चा
का विषय है। मामला मकराना में नहरवाली-उल्लोड़ी रेंज में संगमरमर खनन क्षेत्र का
है।
पहली जांच – जांचकर्ता-प्रवीण खाटकी, सहायक खनिज अभियंता,
मकराना
शिकायत पर मौके पर जांच की तो पता चला कि खान संख्या 106/1 व 106/2 में
खान की पश्चिम की बजाय पूर्व दिशा में बढ़ोतरी करके गैप की सरकारी भूमि में से
अच्छे किस्म के मार्बल का अवैध खनन किया जा रहा है। विभाग के पिल्लर भी उखडे हैं।
खाटकी ने गत वर्ष 22 जुलाई को खनिज अभियंता को सौंपी रिपोर्ट में अवैध खनन करने
वालों से जुर्माना सहित 20 लाख वसूली की सिफारिश की।
दूसरी जांच– डीएस
देवड़ा, अधीक्षण खनि अभियंता (विजिलेंस) व टीम, जयपुर
राज्य सरकार के निर्देश पर
हुई जांच में पाया कि मौके पर पिलर, सूचना बोर्ड उखड़े हैं। रिकॉर्ड नहीं है और
अवैध खनन हो रहा है। देवड़ा ने 18 सितम्बर, 14 को सरकार को सौंपी रिपोर्ट में कहा
कि सहायक खनिज अभियंता की पूर्व जांच ठीक है, लेकिन अवैध खनन की मात्रा का आकलन ठीक
नहीं किया। नए आंकलन में माना कि 64,901 टन ब्लॉक्स व 43,268 टन खण्डा निकाला।
जुर्माने सहित इसकी कीमत 18 करोड़ रूपए है। देवड़ा ने जुर्माने सहित वसूली और
प्राथमिकी दर्ज कराने की अनुशंसा की।
प्राथमिकी दर्ज
मकराना थाने में 23
सितम्बर 2014 को सहायक खनिज अभियंता प्रवीण खाटकी ने खान सम्बन्धी कानून के उल्लंघन
व चोरी से राज्य सरकार को 18 करोड़ रूपए की राजस्व हानि की प्राथमिकी दर्ज दर्ज
कराई।
तीसरी जांच — आरके नलवाया, अति. खान निदेशक (सतर्कता) व टीम
इसमें
पुराने पीपल के पेड़ के आधार पर (जो मौके पर नहीं है) तथा दूसरी खानों के पिल्लर से
साम्य बैठा कर बताया है कि मौके पर अवैध खनन नहीं हो रहा। अतिरिक्त निदेशक नलवाया व
साथी अधीक्षण अभियंता एम.एल. भाटी व खनिज अभियंता आर.एस. बलारा ने गत वर्ष 20
नवम्बर को सरकार को सौंपी रिपोर्ट में खान के पिल्लर नहीं होने और पूर्व-पश्चिम
दिशा का कोई उल्लेख किए बिना खनन को वैध बता दिया।
प्राथमिकी वापस
अतिरिक्त निदेशक की तीसरी जांच रिपोर्ट के बाद 10 दिसम्बर, 14 को सहायक खनिज
अभियंता प्रवीण खाटकी ने अदालत में बयान दिए कि वह प्राथमिकी पर कार्रवाई नहीं
चाहते। इससे 18 करोड़ स्वत: माफ हो गए।
हमने मौके पर जा कर जांच की थी, अवैध
खनन नहीं पाया तो हम क्या करें। दर्ज प्राथमिकी दर्ज वापस लेने और 18 करोड़ रूपए
माफ होने के बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता। -आर.के. नलवाया, अतिरिक्त खान निदेशक
(सतर्कता)