पांच अगस्त को भारत के इस फैसले के बाद पाकिस्तान ने अपने राजदूत को भी वापस बुला लिया था। जम्मू-कश्मीर के हालात देखते हुए पाकिस्तान ने आरोप लगाए थे कि भारत युद्ध छेडऩे की कोशिश में है। पाकिस्तान ने यह भी कहा था कि भारत ने सतलज नदी में बांध का पानी छोडऩे से पहले पाकिस्तान को नहीं बताया, जिससे वहां बाढ़ आ गई। इस बारे में शेखावत ने कहा कि मुद्दा यह है कि कैसे हम अतिरिक्त पानी को पाकिस्तान जाने से रोक सकते हैं और उसका इस्तेमाल कर सकते हैं। कुछ जलस्रोत और नदियां ऐसी हैं, लेकिन वे उस जलग्रहण क्षेत्र से काफी दूर हैं। हम उस पानी को डायवर्ट करेंगे, जिससे बाद में उसका इस्तेमाल किया जा सके। अभी हमारे सभी जलाशय भरे हुए हैं, लेकिन हम पाक जाने वाले पानी को रावी नदी में डायवर्ट कर सकते हैं।
अतिरिक्त पानी को करेंगे डायवर्ट शेखावत ने यह भी कहा कि बांध सिर्फ बिजली बनाने के लिए ही नहीं, बल्कि जरूरत के समय पानी का इस्तेमाल करने के लिए भी बनाए गए हैं। 1960 में भारत-पाकिस्तान के बीच हुआ सिंधु जल समझौता दोनों देशों के बीच नदियों के पानी के बंटवारे को निर्धारित करता है। इसके मुताबिक भारत को ब्यास, रावी और सतलज नदियों का और पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब का पानी मिलता है। अब पाकिस्तान की नदियों को भारत से खूब पानी मिलता है, इसलिए समझौते के मुताबिक भारत सिंधु, चेनाब और झेलम के पानी का इस्तेमाल सीमित सिंचाई के लिए कर सकता है। इसके अलावा भारत बिजली उत्पादन, घरेलू उपयोग, उद्योगों और नेविगेशन और अन्य कई कामों में इस पानी का इस्तेमाल कर सकता है।