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मृत पक्षियों का आंकड़ा 23 हजार पहुंचा, अब ड्रोन से ढूंढेंगे पक्षी

locationजयपुरPublished: Nov 20, 2019 01:17:11 am

Submitted by:

Ankit

जिम्मेदारी लेने से कतरा रहे जिम्मेदार, इधर पक्षियों की जान-आफत में

मृत पक्षियों का आंकड़ा 23 हजार पहुंचा, अब ड्रोन से ढूंढेंगे पक्षी

मृत पक्षियों का आंकड़ा 23 हजार पहुंचा, अब ड्रोन से ढूंढेंगे पक्षी

रेस्क्यू में देरी से नाराज हुए वन मंत्री, अधिकारियों को लगाई फटकार

नावां. दुर्लभ पक्षियों की कब्रगाह बनी विश्वविख्यात सांभर झील में 8 दिन बाद भी हालात सामान्य नहीं है। एक ओर जहां मृत पक्षियों की मौत की संख्या 23 हजार तक पहुंच गई। वहीं दूसरी ओर पक्षियों को बचाने के नाम पर घोर लापरवाही हो रही है। यहां तक कि पक्षियों को बचाने की जिम्मेदारी पर भी एक-दूसरे का मुंह तांक रहे हैं। ऐसे हालात मंगलवार को नावां में बने रेस्क्यू सेंटर में देखने को मिले। यहां बने एक छोटे से पोंड में बीमार पक्षियों के साथ मृत पक्षी भी पड़े थे। उन्हें हटाने को लेकर पशुपालन विभाग और वन विभाग आमने-सामने नजर आए। इसी जगह यही लापरवाही नॉर्दन शावलर पक्षी के जोड़े को लेकर बरती जा रही है। उसे यहां पानी भी नसीब नहीं हो रहा है। यहां पानी की व्यवस्था नहीं होने से उसे पोंड के बाहर मिट्टी में छोड़ दिया। जबकि उसमें से एक पक्षी की स्थिति काफी नाजुक है। पत्रिका ने जब मौेके पर मौजूद चिकित्साकर्मी व स्टाफ से पूछा तो, उन्होंने कहा कि, इस जोड़े को रखने के लिए ज्यादा पानी की जरूरत है। हम तो केवल दवा दे सकते हैं, बाकी काम वन विभाग का है। एसीएफ को इस बारे में बता चुके है। उसके बावजूद भी वे ध्यान नहीं दे रहे है। अगर इसे पानी मिल जाए तो शायद यह सरवाइव कर सकता है। वहीं मौके पर एक भी वनकर्मी नजर नहीं आया। जबकि इससे कुछ समय पहले रेस्क्यू सेंटर में जब वनमंत्री सुखराम बिश्नोई आए तब दोनों विभागों के अफसर यहां मौजूद थे। उनके जाते ही वे गायब हो गए। वहीं पशुपालन विभाग के चिकित्सा अधिकारियों के पास एक ही बहाना है कि, बीमारी का पता नहीं, उपचार क्या करें। ऐसी स्थिति देख अंदाज लगाया जा सकता है कि आखिर जिम्मेदार अपना काम कितनी जिम्मेदारी से निभा रहे है। यही वजह है कि झील से सुरक्षित बचाए जाने के बाद भी रेस्क्यू सेंटर में भी पक्षियों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है।
वन मंत्री ने लगाई लताड़, बोले, ड्रोन से ढूंढेंगे पक्षी
मंगलवार को गुढ़ा साल्ट में स्थितियों का जायजा लेने पहुंचे वन एवं पर्यावरण मंत्री सुखराम बिश्नोई ने नावां क्षेत्र में देरी से शुरू हुए पक्षियों के बचाव कार्य पर आक्रोश जताया। उन्होंने मौके पर मौजूद वनाधिकारियों और एडीएम को लताड़ लगाते हुए कहा कि, जब सांभर में पक्षियों की मौत की घटना सामने आ चुकी थी, तो कहां थे। गंभीर हालात होने के बावजूद भी नहीं जागे। यह घोर लापरवाही है। साथ बरेली स्थित आइवीआरआइ व प्रदूषण विभाग से रिपोर्ट आने की संभावना जताई जा रही है।
अब ड्रोन से ढूंढेंगे पक्षी

आठ दिन तक रेस्क्यू टीमों ने सांभर से नावां तक क्षेत्र में लगातार रेस्क्यू किए। इस बीच केवल किनारे व उसके समीप ही रेस्क्यू किए और दलदल ज्यादा होने से झील में अंदर नहीं उतर पाए। जानकारी मिली है कि अबझील मेे मृत व जीवित पक्षियों को ढूंढने के लिए ड्रोन कैमरे की मदद ली जाएगी।
मंत्री बोले, झील में बोरिंग नहीं
– नावां रेस्क्यू सेंटर में वन मंत्री बिश्नोई सरकार का बचाव करते नजर आए। झील क्षेत्र में लगातार अवैध ट्यूबवैल के मामले में उन्होंने साफ इंकार कर दिया। पत्रिका ने हालात से रूबरू कराया तो उन्होंने कार्रवाई करने की बात कही।
कुछ विशेषज्ञ मौत के कारणों बिजली के करंट की भी आशंका जता रहे है। पत्रिका ने पड़ताल की तो, मोहनपुरा एरिया में सैकड़ों की तादाद में झील में तारों के जाल नजर आए।

गायब हो गई पक्षियों का कलरव
ठंड के मौसम में दुर्लभ पक्षियों से गुलजार रहने वाली झील अब सुनसान नजर आ रही है। माने यहां से पक्षियों की कलरव ही गायब हो गई। पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक बीमार हालत में कई पक्षी दोबारा अपने स्वदेश नहीं लौट पाएंगे। इसलिए सरकार को उनके बचाव के लिए पुख्ता इंतजाम करने की जरूरत है।
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