ऐसे आया आइडिया
बकौल आशीष, कुछ साल पहले मैंने एक शॅार्ट स्टोरी पढ़ी थी, तो उसकी कहानी मेरे जेहन में थी। फिर मैंने एक स्टोरी लिखी और वाइफ अर्चना को पढऩे के लिए दी। वहीं अर्चना का कहना है कि आशीष ने अपनी स्टोरी पढ़ाई तो मुझे लगा इस पर तो फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार हो सकती है। जब मैंने आशीष को बोला कि इस पर फिल्म बनाते हैं, तो उन्होंने कहा कि मेरा व्यू भी फिल्म बनाने का था। जब आशीष अपने प्रोजेक्ट्स में बिजी थे तो मैंने स्क्रिप्ट पर काम शुरू कर दिया।
बकौल आशीष, कुछ साल पहले मैंने एक शॅार्ट स्टोरी पढ़ी थी, तो उसकी कहानी मेरे जेहन में थी। फिर मैंने एक स्टोरी लिखी और वाइफ अर्चना को पढऩे के लिए दी। वहीं अर्चना का कहना है कि आशीष ने अपनी स्टोरी पढ़ाई तो मुझे लगा इस पर तो फिल्म की स्क्रिप्ट तैयार हो सकती है। जब मैंने आशीष को बोला कि इस पर फिल्म बनाते हैं, तो उन्होंने कहा कि मेरा व्यू भी फिल्म बनाने का था। जब आशीष अपने प्रोजेक्ट्स में बिजी थे तो मैंने स्क्रिप्ट पर काम शुरू कर दिया।
राजस्थान में हुई शूटिंग
आशीष के मुताबिक, जब वो इस फिल्म की कहानी बना रहे थे तो इसके लिए राजस्थान की लोकेशन जेहन में थी। जब डायरेक्टर रोहित द्विवेदी ने कहा कि फिल्म में कहानी के अनुसार लोकेशन चाहिए तो मैंने राजस्थान के सरदार शहर के लिए कहा, जहां मैंने काफी वक्त बिताया है। फिल्म में आशीष के साथ सरदार शहर के लोकल एक्टर और राजस्थान के थिएटर कलाकारों का अभिनय भी देखने को मिलेगा।
आशीष के मुताबिक, जब वो इस फिल्म की कहानी बना रहे थे तो इसके लिए राजस्थान की लोकेशन जेहन में थी। जब डायरेक्टर रोहित द्विवेदी ने कहा कि फिल्म में कहानी के अनुसार लोकेशन चाहिए तो मैंने राजस्थान के सरदार शहर के लिए कहा, जहां मैंने काफी वक्त बिताया है। फिल्म में आशीष के साथ सरदार शहर के लोकल एक्टर और राजस्थान के थिएटर कलाकारों का अभिनय भी देखने को मिलेगा।
ट्रांसजेंडर के साथ भेदभाव क्यों? जहां इस समाज में बेटा-बेटी, बहू में फर्क किया जाता है, वहीं मुझे मेरे परिवार ने यही सिखाया है कि हम सब इक्वल हैं। ट्रांसजेंडर भी हमारे जैसे ही इंसान हैं, जिन्हे हमारे हिप्पोक्रेटिक समाज ने अलग कर रखा है।