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सरिस्का अभयारण्य के आग फैलाव ने फायर लाइन पर खड़ा किया सवाल

locationजयपुरPublished: May 16, 2022 03:53:38 pm

Submitted by:

Anand Mani Tripathi

गर्मी के मौसम में सरिस्का बाघ परियोजना हर बार घास के बारूद के ढेर पर होता है, लेकिन जंगल में आग लगने से बचाने के लिए उपाय कागजी ही रहे हैं। यही कारण है कि इस बार ग्रीष्मकाल में सरिस्का में कई बार बड़ी आग की घटनाएं हो चुकी है। आग से 50 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा जंगल बर्बाद हो गया, वहीं आग की घटनाओं ने सरिस्का में फायर लाइन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया।

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गर्मी के मौसम में सरिस्का बाघ परियोजना हर बार घास के बारूद के ढेर पर होता है, लेकिन जंगल में आग लगने से बचाने के लिए उपाय कागजी ही रहे हैं। यही कारण है कि इस बार ग्रीष्मकाल में सरिस्का में कई बार बड़ी आग की घटनाएं हो चुकी है। आग से 50 वर्ग किलोमीटर से ज्यादा जंगल बर्बाद हो गया, वहीं आग की घटनाओं ने सरिस्का में फायर लाइन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया। जबकि हर साल सरकार की ओर से फायर लाइन काटने के लिए बजट मुहैया कराया जाता है।
मानसून के दौरान सरिस्का के घने जंगल में घास बड़ी हो जाती है। बारिश का दौर थमते ही घास सूखने लगती है। गर्मी में सूखी घास में आग लगने की आशंका ज्यादा रहती है। इस कारण मानसून का दौर खत्म होते ही सरिस्का बाघ परियोजना में घास व पेड़ पत्तों वाले जंगल में आग लगने पर फैलाव रोकने के लिए फायर लाइन काटने का प्रावधान है। फायर लाइन काटने की प्रक्रिया हर साल मानसून के बाद करने का प्रावधान है। लेकिन ज्यादातर फायर लाइन केवल कागजों में बनने से सरिस्का में एक के बाद एक आग की घटनाएं हुई।
आग बुझाने के लिए हैलीकॉप्टर बुलाए, फायर लाइन पर ध्यान नहीं : पिछले दिनों सरिस्का में पृथ्वीपुरा- बालेटा के जंगल में भंयकर आग लगी। आग का फैलाव इतना ज्यादा रहा कि वनकर्मियों एवं ग्रामीणों के काबू में नहीं आ सकी। बाद में सरिस्का प्रशासन ने जिला कलक्टर से बात कर सेना के दो हैलीकाप्टर मंगाए, तब भी दो दिन पहाड़ियों पर पानी का छिड़काव करने के बाद ही आग पर काबू पाया जा सका। इसके बाद टहला के जंगल में कई बार आग भभकी। आग की इन घटनाओं से सरिस्का का 50 वर्ग किलोमीटर का जंगल प्रभावित हुआ।
करीब 450 किमी बनानी होती है फायर लाइन: आग पर काबू पाने के लिए एक रेंज में करीब 70 किलोमीटर फायर लाइन बनाई जाती है। सरिस्का में सात रेंज हैं, इनमें हर साल 450 से 500 किलोमीटर फायर लाइन बनाने की जरूरत होती है। इन फायर लाइन के लिए सरकार की ओर से हर साल बजट भी दिया जाता है।
बड़ा सवाल यह

सरिस्का में यदि 350 किलोमीटर फायर लाइन बनाई जाती है तो फिर आग पर काबू पाने के लिए सेना के हैलीकॉप्टर की जरूरत क्यों पड़ी। फायर लाइन होने पर आग आगे नहीं बढ़नी चाहिए थी, जिससे वनकर्मी आसानी से आग पर काबू पा सकते थे। आग के बेकाबू होना ही फायर लाइन की सत्यता उजागर करता है।
फायर लाइन नहीं बनाई

ग्रीष्मकाल के शुरू में ही कई अग्नि हादसों को झेलने के बाद भी सरिस्का प्रशासन की ओर से अग्नि हादसा स्थल व अन्य घास वाले स्थानों पर फायर लाइन का निर्माण नहीं कराया है।

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