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प्रदेश के बेरोजगारों की फीस भी डकार गई सरकार

locationजयपुरPublished: Aug 27, 2020 11:34:03 pm

Submitted by:

vinod vinod saini

सरकारी नौकरी (Government Job) के अरमान दिखाकर सरकारी महकमे बेरोजगारों ( unemployed) की फीस हजम करने में पीछे नहीं है। पिछले दस सालों में सरकार ने कई विभागों में भर्ती (recruitment) निकाली, लेकिन सरकारें समय के साथ इन भर्तियों को भूलती चली गई। इस कारण प्रदेश के बेरोजगारों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है।

प्रदेश के बेरोजगारों की फीस भी डकार गई सरकार

प्रदेश के बेरोजगारों की फीस भी डकार गई सरकार

सीकर। सरकारी नौकरी (Government Job) के अरमान दिखाकर सरकारी महकमे बेरोजगारों ( unemployed) की फीस हजम करने में पीछे नहीं है। पिछले दस सालों में सरकार ने कई विभागों में भर्ती (recruitment) निकाली, लेकिन सरकारें समय के साथ इन भर्तियों को भूलती चली गई। इस कारण प्रदेश के बेरोजगारों में सरकार के खिलाफ काफी आक्रोश है। आठ से दस साल में इन भर्तियों के पूरा नहीं होने के बाद भी बेरोजगारों को परीक्षा शुल्क (Examination fee) की राशि वापस नहीं मिली है। कांग्रेस सरकार ने पिछले कार्यकाल में संविदा कर्मचारियों को नियमित करने के लिए शिक्षा सहायक, पंचायती राज विभाग की लिपिक, चिकित्सा विभाग में भर्ती की विज्ञप्ति निकाली थी। वर्ष 2013 में कांग्रेस सरकार के समय यह भर्ती निकाली गई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव में सत्ता परिवर्तन के बाद भर्ती उलझ गई। इन भर्तियों से नौकरी की आस को लेकर लगभग 20 लाख से अधिक युवाओं ने आवेदन किए थे।
विद्यार्थी मित्रों की आस अब तक अधूरी
सरकारी स्कूलों में काम कर चुके विद्यार्थी मित्रों के समायोजन के लिए किए गए दोनों सरकारों के प्रयास पूरी तरह सफल नहीं हो सके। विद्यार्थी मित्रों को नियमित करने के लिए सरकार ने शिक्षा सहायक, विद्यालय सहायक भर्ती शुरू की थी, लेकिन दोनों भर्ती विवादों में उलझ कर रह गई। अभ्यर्थियों से फार्म भराने के बावजूद किसी को भी इन पदों पर नियुक्ति नही मिल पाई है। वर्ष 2013 में तत्कालीन कांग्रेस ने चुनावी साल में शिक्षा सहायक के पदों के लिए भर्ती निकाली थी लेकिन नियमों के फेर में अटक जाने से भर्ती पूरी नही हो सकी। वर्ष 2015 में विद्यालय सहायक भर्ती करने का प्रयास किया था, लेकिन इस भर्ती का हश्र भी शिक्षा सहायक भर्ती की तरह हुआ। वर्ष 2017 में तीसरा प्रयास पंचायत सहायक भर्ती के रूप में किया। हालांकि इस भर्ती में भी जमकर विवाद हुए। बावजूद इसके सरकार 70 प्रतिशत से अधिक विद्यार्थी मित्रों का इस भर्ती में समायोजन करने में सफल रही। लेकिन पंचायत सहायक के पद पर समायोजन हो जाने के
अटकी भर्तियों के लिए बने नीति
राजस्थान उच्च न्यायालय के अधिवक्ता संदीप कलवानियां ने बताया कि राज्य सरकार को अटकी भर्तियों को जल्द धरातल पर लाने के लिए नीति बनानी होगी। संविदा कर्मियों को नियमित करने के लिए भाजपा की ओर से भी पहले कमेटी बनाई गई थी। अब कांग्रेस ने कमेटी के जरिए संविदाकर्मियों को नियमित करने का सपना दिखाया है। दो साल में कई बार बैठक होने के बाद भी सरकार कोई राहत नहीं दे सकी।
विद्यार्थी मित्र योजना शुरू हुई: वर्ष 2006
प्रदेशभर में विद्यार्थी मित्र: 25 हजार
योजना बंद: वर्ष 2014
शिक्षा सहायक भर्ती की कवायद: वर्ष 2013
शिक्षक सहायक में पद: 33 हजार
आवेदक: 10.50 लाख
भर्ती रद्द: 2015
आवेदन शुल्क आया: 23 करोड़
विद्यालय सहायक भर्ती: 2015 में
पंचायतीराज विभाग एलडीसी भर्ती 2013 में पद: 19500
आवेदन: 9.50 लाख से अधिक
आवेदन शुल्क: 18 करोड़

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