केस 2: पता नहीं कब तक लंबित रहेगा क्लेम चाकूस कस्बा निवासी सगीर की कुछ माह पहले सड़क हादसे में मौत हो गई थी। सगीर के परिजन अब क्लेम के इंतजार में हैं। मौत के बाद उनके बेटे सद्दाम को पता चला कि सहकारी समिति से लोन लेते समय उनका दस लाख रुपए का बीमा किया गया था। तभी से सद्दाम सहकारी समिति के यहां चक्कर लगा रहे हैं। सद्दाम ने बताया कि अभी पिछले सप्ताह भी सोसायटी में मैनेजेर से मिला था, जवाब मिला कि बैंक के पास मामला लम्बित है। पता नहीं कब मिलेगा क्लेम।
ओमप्रकाश शर्मा / जयपुर. सीता देवी, सगीर ही नहीं बल्कि जयपुर जिले में 10 और प्रदेश में तीन सौ किसान परिवार ऐसे हैं, जो अपने परिवार के मुखिया की अकाल मौत के बाद क्लेम का इंतजार कर रहे हैं। भाजपा सरकार के समय चुनाव से कुछ माह पहले ये बीमा कराने का निर्णय लिया गया था। पहली बार दस लाख रुपए का बीमा कराया गया। इससे पहले बैंक ही प्रीमियम वहन करता था, लेकिन इस बार प्रीमियम भी किसान से लिया गया। करीब 18 लाख किसानों का बीमा किया गया। बीमा उन्हीं का किया गया, जिन्होंने सहकारी समितियों से लोन लिया था। बीमा का जिम्मा एक निजी कम्पनी को दिया गया। जब क्लेम लेने का समय आया तो बैंक ने किसानों की सुध लेना बंद कर दिया। क्लेम के लिए परिवार ग्राम सेवा सहकारी समिति और सहकारी बैंक के यहां चक्कर लगा रहे हैं। अभी तक एक भी किसान परिवार को क्लेम नहीं मिला। सरकार बदलने के बाद भी परेशान किसानों की किसी ने सुध नहीं ली।
300 मामले लंबित, देर से जागा विभाग तीन सौ मामले अभी कम्पनी के पास लम्बित हैं। इसके अलावा आठ जिलों के बैंक ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक किसानों के क्लेम की सुध नहीं ली। बांसवाड़ा, भरतपुर, धौलपुर, बीकानेर, डूंगरपुर, जैसलमेर, जालौर, सवाई माधोपुर और करौली के बैंकों ने अभी तक कोई क्लेम रिपोर्ट ही पेश नहीं की। उधर, इस मामले का खुलासा होने के बाद अब विभाग जागा है। अतिरिक्त रजिस्ट्रार ने अपेक्स बैंक के एमडी को पत्र लिखा है। उन्हें निर्देश दिया है कि बीमा कम्पनी के साथ बैठक कर प्रत्येक प्रकरण की समीक्षा की जाए। यह तय किया जाए कि क्लेम का भुगतान कम्पनी और बैंक के मध्य हुए एमओयू के तहत हुआ है या नहीं। पूरे मामले की विभाग ने विस्तृत रिपोर्ट भी मांगी है।