गांधीनगर। भारत के प्रस्ताव पर एशियाई हाथी, गोडावण और बंगाल फ्लोरिकन को विलुप्त हो रहे जीवों की अंतरराष्ट्रीय सूची में शामिल कर लिया गया है। गौरतलब है कि गोडावण राजस्थान का राज्य पक्षी है। अब पाकिस्तान के लिए भी गोडावण का संरक्षण अनिवार्य हो जाएगा।
प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (सीएमएस) के सदस्यों की शनिवार को हुई 13वीं बैठक में एशियाई हाथी, गोडावण और बंगाल फ्लोरिकन को सीएमएस के एपेंडिक्स-1 में शामिल किया गया। भारत ने बैठक के पहले दिन 17 फरवरी को इसका प्रस्ताव किया था। सीएमएस की पूर्ण समिति ने 20 फरवरी को सर्वसम्मति से तीनों प्रस्ताव को मंजूर कर प्लेनरी को अपनी सिफारिश भेजी थी।
सीएमएस करेगा निगरानी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो की अध्यक्षता में शनिवार को इन जीवों को सीएमएस की सूची में शामिल कर लिया गया। सुप्रियो ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सीएमएस की सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान सहित उसके सभी सदस्यों को गोडावण का संरक्षण करना होगा। सीएमएस इसकी निगरानी करेगा।
150 से भी कम गोडावण
मंत्रालय में वन्यजीव महानिरीक्षक सौमित्र दास गुप्ता ने कहा कि इस बैठक के प्रतीक पक्षी गोडावण की संख्या 150 से भी कम रह गई है। पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी संभवत: अब नहीं रह गई है, लेकिन राजस्थान से उड़कर वहां जाने वाले गोडावण का शिकार कर लिया जाता है। भारत ने इनके संरक्षण के लिए सीएमएस के मंच का उपयोग किया है। इससे पाकिस्तान में भी इसे समान संरक्षण मिलेगा। इन तीनों भारतीय प्रजातियों के अलावा सात और प्रजातियों को एपेंडिक्स-1 और एपेंडिक्स-2 में शामिल किया गया।
प्रवासी जीवों पर संयुक्त राष्ट्र के सम्मेलन (सीएमएस) के सदस्यों की शनिवार को हुई 13वीं बैठक में एशियाई हाथी, गोडावण और बंगाल फ्लोरिकन को सीएमएस के एपेंडिक्स-1 में शामिल किया गया। भारत ने बैठक के पहले दिन 17 फरवरी को इसका प्रस्ताव किया था। सीएमएस की पूर्ण समिति ने 20 फरवरी को सर्वसम्मति से तीनों प्रस्ताव को मंजूर कर प्लेनरी को अपनी सिफारिश भेजी थी।
सीएमएस करेगा निगरानी
पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो की अध्यक्षता में शनिवार को इन जीवों को सीएमएस की सूची में शामिल कर लिया गया। सुप्रियो ने यहां संवाददाताओं को बताया कि सीएमएस की सूची में शामिल होने के बाद पाकिस्तान सहित उसके सभी सदस्यों को गोडावण का संरक्षण करना होगा। सीएमएस इसकी निगरानी करेगा।
150 से भी कम गोडावण
मंत्रालय में वन्यजीव महानिरीक्षक सौमित्र दास गुप्ता ने कहा कि इस बैठक के प्रतीक पक्षी गोडावण की संख्या 150 से भी कम रह गई है। पाकिस्तान में उनकी मौजूदगी संभवत: अब नहीं रह गई है, लेकिन राजस्थान से उड़कर वहां जाने वाले गोडावण का शिकार कर लिया जाता है। भारत ने इनके संरक्षण के लिए सीएमएस के मंच का उपयोग किया है। इससे पाकिस्तान में भी इसे समान संरक्षण मिलेगा। इन तीनों भारतीय प्रजातियों के अलावा सात और प्रजातियों को एपेंडिक्स-1 और एपेंडिक्स-2 में शामिल किया गया।