आमेर महल में एलिफेंट सफारी का बाजार जयपुर के हाथियों की जिंदगी पर इस कदर भारी है कि यहां पर कभी भी हाथियों की ब्रीडिंग नहीं करवाई गई है। पर्यटन विभाग के अधीन चलने वाले हाथी गांव में ही हाथियों के साथ क्रूरता हो रही है।
पानी की कमी, गर्मी का बहाना हाथी वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े पदाधिकारियों का कहना है कि जयपुर का मौसम गर्म है और यहां आद्रता कम है। हाथी गांव में पानी की कमी है और पानी खारा है। इसलिए हाथी गांव की स्थितियां ऐसी नहीं है, जिसमें नर और मादा हाथी मेटिंग कर पाए।
पर्यटन विभाग की ओर से कुंडा में बनाए गए हाथी गांव में फिलहाल 51 हथिनियां हैं, इनमें से एक भी हथिनी की मेटिंग नहीं करवाई गई है। हाथी गांव की हथिनियां जवानी से बुढ़ापे की दहलीज पर पहुंच गई है। लेकिन इन्हें मां बनने का नैसर्गिक हक नहीं दिया गया है। जयपुर में इस समय 126 हाथी हैं, इनमें से 124 मादा हाथी हैं और दो पर हाथी।
फंड में करोड़ों रूपए, फिर भी बदहाली हाथी गांव में हाथियों के विकास के लिए पर्यटन विभाग ने एलिफेंट वेलफेयर फंड बना रखा है। आमेर महल में हाथी के प्रत्येक फेरे पर विकास शुल्क के रूप में 20 रूपए काटे जाते हैं। यह पैसा हाथी वेलफेयर फंड में जमा हो रहा है।
अब तक इस फंड में करीब ढाई करोड़ रूपए जमा हो चुके है। इस पैसे से हाथी गांव में हाथियों के प्रजनन के लिए अनुकूल स्थितियां पैदा की जा सकती है। लेकिन इसके लिए ना तो पर्यटन विभाग कुछ कर रहा है और ना ही वन्यजीवों का जिम्मा संभाल रहा वन विभाग। हाथी वेलफेयर एसोसिएशन से जुड़े लोग तो सवारी के लालच में चुप्पी साधे हुए है।
ढाई साल नहीं होती सफारी वन्यजीव चिकित्सकों का कहना है कि मादा हाथी का गर्भकाल 21 महीने का होता है। बच्चा पैदा होने के भी छह महीने बाद तक हथिनी सवारी के लिए स्वस्थ नहीं हो पाती है। इस तरह यदि हथिनी का प्रजनन करवाया जाता है, तो वो ढाई साल तक सवारी के काम में नहीं आएगी।
जयपुर के हाथी गांव में हरियाली बढ़ाकर और पानी की उपलब्धता बढ़ाकर यहां हाथियों के प्रजनन के अनुकूल माहौल बनाया जा सकता है। जयपुर में हथियों का प्रजनन करवाया जा सकता है। 17 साल में 3 बच्चे, तीनों बाहर के
जयपुर में पहली बार वर्ष 2001 में पहली बार एक हथिनी ने बच्चा पैदा किया था। इसके बाद 2003 में दूसरा और 2007 में तीसरा बच्चा पैदा हुआ था। जिन तीनों हथिनियों ने बच्चों को जन्म दिया, वे तीनों ही बाहर से गर्भवती होकर आईं थी। जयपुर में एक भी हथिनी गर्भवती नहीं हुई है।
फैक्ट फाइल हाथी संख्या — 126 मादा हाथी — 124 नर हाथी — 02 हाथी गांव में हाथी — 51 वर्जन जयपुर में एक भी हाथी की मेटिंग नहीं करवाई गई है। हाथी गांव में ऐसी स्थितियां नहीं है कि वहां हाथी मेटिंग कर सके। जबकि एलिफेंट वेलफेयर फंड में ढाई करोड़ रूपए से ज्यादा पैसा पड़ा है।
यदि पर्यटन या वन विभाग चाहे तो हाथी गांव में मेटिंग के अनुकूल स्थितियां बन सकती है। हाथी मालिक सवारी के लालच में भी हाथियों की मेटिंग नहीं करवाते है। अब्दुल अजीज, सचिव, एलिफेंट वेलफेयर एसोसिएशन
हाथी गांव में पानी की उपलब्धता और हरियाली बढ़ाकर हाथियों की मेटिंग के अनुकूल स्थितियां बनाई जा सकती हैं। जयपुर में हाथियों की क्रॉसिंग करवाई जा सकती है। इसमें यहां का गर्म मौसम बाधा नहीं बनेगा।
डॉ अशोक तंवर, वन्यजीव चिकित्सक, जयपुर प्रजनन किसी भी प्राणी का नैसर्गिक हक है, उससे वंचित नहीं किया जा सकता है। पीपुल्स फोर एनिमल संस्था इसकी शिकायत पशु कल्याण बोर्ड चेन्नई को इसकी शिकायत करेगी।
सूरज सोनी, जयपुर संयोजक, पीएफए