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हाईकोर्ट ने पूछा—थानों में जब्त वाहनों के निस्तारण के लिए क्या किया

locationजयपुरPublished: Sep 29, 2020 10:18:27 pm

Submitted by:

KAMLESH AGARWAL

मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी से मांगा जवाब

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जयपुर।

राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि प्रदेश के थानों में जब्त वाहनों के निस्तारण के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। एक जनहित याचिका में कहा गया है कि थानों में जब्त वाहन कबाड़ हो रहे हैं इनका निस्तारण नियमानुसार किया जाना चाहिए लेकिन अधिकारियों की लापरवाही से वाहन नकारा होकर कबाड़ में बदल गए हैं। जिस पर हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, डीजीपी और परिवहन आयुक्त से जवाब तलब किया है।
याचिकाकर्ता महेश झालानी के अधिवक्ता सतीश खंडेलवाल ने कहा कि प्रदेश के सभी थानों में कई अरबों रुपए के वाहन कई सालों से जब्त पडे हुए हैं। जबकि सुप्रीम कोर्ट सभी राज्यों को इन वाहनों का तय समय में निस्तारण के आदेश दे चुका है। आदेश पालना नहीं होने पर सुप्रीम कोर्ट कठोर कार्रवाई की चेतावनी भी दे चुका है । कई सालों तक पड़े रहने के कारण ये वाहन रोड पर चलने लायक नहीं रहते है बल्कि इनसे दुर्घटनाएं होने का खतरा भी रहता है। ये वाहन राष्ट्र की संपत्ति हैं जो खुले में खड़ा रहने से कबाड़ में बदल रहे है और राष्ट्र को नुकसान हो रहा है। जिस पर मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खण्डपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता से प्रकरण में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है जिसमें अब तक पूरे प्रदेश में कितने वाहन थानों में जप्त हैं तथा उनके निस्तारण करने की क्या कार्रवाई की गई है टौर किस वाहन को किस धारा में जब्त किया है इसकी जानकारी देनी है।
थानों में अरबों के वाहनों का अंबार क्यों ?

याचिका में कहा है कि प्रदेश के लगभग सभी थानों में ट्रक, ट्रैक्टर, ट्रॉली, मोटरसाइकिल, बस, जुगाड़, कार और दोपहिया वाहन विभिन्न अपराधों में जप्त किए हुए हैं। ये वाहन छह माह से लेकर कई साल से थानों में जब्त है जिससे ये अनावश्यक रूप से खराब हो रहे हैं । सुप्रीम कोर्ट ने सुंदर भाई अम्बालाल देसाई एवं जनरल इंश्योरेंस कंपनी बनाम स्टेट ऑफ आंध्र प्रदेश के मामले में थानों में जब्त वाहनों के निस्तारण को लेकर दिशा—निर्देश जारी किए थे। अब हाईकोर्ट ने पूछा है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की पालना में पुलिस विभाग ने कोई परिपत्र या आदेश जारी क्यों नही किया ? सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के डीजीपी को निर्देश दिए हैं कि वह इस संदर्भ में सर्कुलर जारी करें और वाहनों का निश्चित प्रक्रिया अपनाते हुए निस्तारित करे।
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