आवश्यकता होने पर करेंगे आंदोलन उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी कुछ किसान संगठन इस कानून को वापस लिए जाने की मांग को लेकर संघर्षरत है लेकिन भारतीय किसान संघ इस आंदोलन में शामिल नहीं है। संघ अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से काम करने में यकीन करता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता होती है तो भारतीय किसान संघ भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा और संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इसे लेकर बैठक बुलाई जाएगी। उनका कहना था कि धान और गेंहू की फसल ही किसान के लिए नहीं है बल्कि अनेक प्रकार की खेती करने वाले किसान भी हैं। देश का सबसे बड़ा सर्वव्यापी और गैर राजनीतिक संगठन होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश के हर किसान के विषय को प्रमुखता से हर स्तर पर अंकित करें।
यह हैं भारतीय किसान संघ की मांगें देश भर की मंडियों के अंदर और बाहर समर्थन मूल्य के नीचे कोई खरीदारी न हो। निजी व्यापारियों का पंजीयन एक सरकारी पोर्टल के तहत हो और सभी के लिए उपलब्ध हो।
व्यापारियों का बैंक गारंटी के माध्यम से किसान का भुगतान समय निश्चित किया जाए। इससे संबंधित विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालय की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा किसान के गृह जिले में ही किया जाए।