जयपुर

कानून में एमएसपी पर खरीद का प्रावधान हो: बद्रीनारायण चौधरी

कृषि कानूनों में संशोधन करें सरकार: भारतीय किसान संघ
बिलों को वापस लेने की नहीं है आवश्यकता
भारतीय किसान संघ कर रहा है संशोधन किए जाने की मांग
 
सरकार ने एक देश एक बाजार और बिना टैक्स कृषि उपज बेचने का किया है कानूनी प्रावधान
जरूरत होने पर आंदोलन भी करेगा भारतीय किसान संघ

जयपुरDec 05, 2020 / 01:41 pm

Rakhi Hajela

कानून में एमएसपी पर खरीद का प्रावधान हो: बनवारी लाल चौधरी

केंद्र सरकार के कृषि बिलों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन के बीच भारतीय किसान संघ का कहना है कि देर से ही सही लेकिन केंद्र सरकार ने एक देश एक बाजार और बिना टैक्स के कृषि उपज को बेचने का कानूनी प्रावधान किया है जिसका वह स्वागत करता है लेकिन इसके बाद भी इनमें कुछ संशोधनों की जरूरत है इसलिए सरकार बिल को वापस नहीं लेते हुए उसमें संशोधन करें। संघ के अखिल भारतीय महामंत्री बद्रीनारायण चौधरी ने आज एक प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि कानून में एमएसपी पर खरीद का प्रावधान होना चाहिए। उन्होंने कहा कि कृषि कानून बनाए जाने से पहले संघ से केंद्र सरकार की कोई चर्चा नहीं हुई थी लेकिन जब से तीन कृषि व्यापार बिल के मसौदे के बारे में बता चला था तब से उनका संघ इस पहल का स्वागत करते हुए कुछ संशोधनों की मांग करता आ रहा है।
आवश्यकता होने पर करेंगे आंदोलन

उन्होंने कहा कि वर्तमान में भी कुछ किसान संगठन इस कानून को वापस लिए जाने की मांग को लेकर संघर्षरत है लेकिन भारतीय किसान संघ इस आंदोलन में शामिल नहीं है। संघ अहिंसक और शांतिपूर्ण तरीके से काम करने में यकीन करता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि यदि आवश्यकता होती है तो भारतीय किसान संघ भी आंदोलन का रास्ता अख्तियार करेगा और संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की इसे लेकर बैठक बुलाई जाएगी। उनका कहना था कि धान और गेंहू की फसल ही किसान के लिए नहीं है बल्कि अनेक प्रकार की खेती करने वाले किसान भी हैं। देश का सबसे बड़ा सर्वव्यापी और गैर राजनीतिक संगठन होने के नाते हमारी जिम्मेदारी है कि हम देश के हर किसान के विषय को प्रमुखता से हर स्तर पर अंकित करें।
यह हैं भारतीय किसान संघ की मांगें

देश भर की मंडियों के अंदर और बाहर समर्थन मूल्य के नीचे कोई खरीदारी न हो।

निजी व्यापारियों का पंजीयन एक सरकारी पोर्टल के तहत हो और सभी के लिए उपलब्ध हो।
व्यापारियों का बैंक गारंटी के माध्यम से किसान का भुगतान समय निश्चित किया जाए।

इससे संबंधित विवादों के लिए स्वतंत्र कृषि न्यायालय की व्यवस्था हो और सब विवादों का निपटारा

किसान के गृह जिले में ही किया जाए।
Copyright © 2024 Patrika Group. All Rights Reserved.