प्रतिभागियों ने समझा योग का महत्व
जयपुरPublished: Aug 03, 2021 11:23:04 pm
‘योगा फॉर आर्टिस्ट ए क्लासिकल एप्रोच’ पर ऑनलाइन सेशन आयोजित
प्रतिभागियों ने समझा योग का महत्व
जयपुर, 3 अगस्त। जवाहर कला केंद्र की ओर से मंगलवार को ‘योगा फॉर आर्टिस्ट ए क्लासिकल एप्रोच’ पर आयोजित सेशन में योगा प्रोफेशनल दिव्या शर्मा से योगा के माध्यम से अपनी रचनात्मक और कल्पनाशील ऊर्जा का उपयोग करना सिखाया। सेशन विभिन्न योग आसनों, प्राणायाम, योग के लाभ और योग के संक्षिप्त परिचय पर केंद्रित था। सेशन की शुरुआत प्रशिक्षक और प्रतिभागियों ने शांति पाठ प्रार्थना के साथ की।
योग का संक्षिप्त परिचय देते हुए शर्मा ने कहा कि योग संस्कृत मूल युज से बना है, जिसका अर्थ है बांधना, मिलना और जुडऩा। यह एक व्यक्ति की स्वयं की चेतना और ब्रह्मांड की चेतना के बीच मिलन है। यह एक शारीरिक, मानसिक या आध्यात्मिक गतिविधि हो सकती है, जो योग करने वाले व्यक्ति को आत्मबोध की ओर ले जाती है। यह भारतीय फिलोसफी की छह रूढि़वादी प्रणालियों में से एक है। मस्तिष्क के दाहिने हिस्से को क्रिएटिव ब्रेन के रूप में जाना जाता है जो कि रचनात्मकता, स्थानिक क्षमता, कलात्मक और संगीत कौशल को नियंत्रित करता है। एक कलाकार के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह क्रिएटिव ब्रेन की आंतरिक क्षमताओं को पहचान कर बाहर लाए।
उन्ळोंने योग के आठों अंगों की भी जानकारी दी। साथ ही विजुअल आर्टिस्ट के लिए आसन के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि ताड़ासन एक पारंपरिक आसन है, जो एक ताड़ के पेड़ से मिलता जुलता है। यह एक संतुलनकारी मुद्रा है जो लंबाईए रीढ़ की हड्डी के लचीलेपन और रीढ़ की हड्डी के दर्द में सुधार करती है। इसी तरह सर्वांगासन थायरॉयड ग्रंथि के सभी अभ्यासों में सबसे ऊपर है। बुधवार को इस सेशन का समापन होगा जो विभिन्न योग आसन और प्राणायाम के बारे में बताने पर केंद्रित होगा।