एमएसएमई को दिलाएं बकाया भुगतान : एमएसएमई सहित सभी उद्योगों को सरकारी कम्पनियों और विभागों से लम्बित भुगतान शीघ्र दिलवाया जाए। एमएसएमई को बकाया भुगतान 45 दिन की अवधि में दिलवाने के कानूनी प्रावधानों को तो कड़ाई से पालन करवाना ही चाहिए। प्रदेश के उद्योगों से ही खरीदें सामान : सरकारी संगठन राजस्थान में उत्पादित सामान की खरीद को प्राथमिकता दें। खरीद प्राथमिकता नीति के अनुसार 80 फीसदी खरीद राजस्थान के उद्योगों से होनी चाहिए। बड़े प्रोजेक्ट के लिए खरीददारों को राजस्थान के उद्योगों से ही सामान खरीदना चाहिए।
प्रोजेक्टों के पूरा होने की तिथि बढ़े : कोरोना संकट खत्म होने तक प्रोजेक्ट पूरा होने की तिथि पर पुनर्विचार करने और उन्हें बिना किसी नुकसान के बढ़ाए जाने की जरूरत है। बहुत से सरकारी प्रोजेक्ट चल रहे हैं,जिन्हें निर्धारित समय पर पूरा करना है, जैसे विद्युत बोर्ड,रीको,पीडब्लूडी,आरएसआरडीसी,पीएचईडी के प्रोजेक्ट। कोरोना संकट के चलते लॉकडाउन को देखते हुए इनके संपन्न होने की तिथि बढ़ानी चाहिए ताकि उद्योग एवं ठेकेदार दोनों पर कोई जुर्माना न लगे।
क्लस्टर विकास को दें प्रोत्साहन : क्लस्टर विकास को प्रोत्साहन की जरूरत है। उत्तर प्रदेश और गुजरात के मुकाबले राजस्थान में काफी कम क्लस्टर हैं। इन क्लस्टर के लिए ज्यादातर फंडिंग केंद्र सरकार से आती है। अगर टैक्सटाइल, हैंडीक्राफ्ट, बिजली के सामान आदि के लिए क्लस्टर विकसित किए जाएं तो इससे अच्छा राजस्व और रोजगार के अवसर प्राप्त होंगे।
इन उपायों को करने की भी जरूरत : – नए निवेश आकर्षित करने के लिए रीको को कीमतों में 30-35 प्रतिशत की कटौती करनी होगी। -रीको पांच साल में पूरी राशि के पुनर्भुगतान की शर्त के साथ निवेश में इक्विटी की नीति अपना सकता है।
– रीको में निवेश करो और काम शुरू करो की सुविधा दी जा सकती है। -सभी पर्यावरणीय, वन, भूमि और अन्य स्वीकृतियां लेने के बाद ही खनन नीलामी की जानी चाहिए। – खान,पर्यावरण और वन विभाग को एकल खिड़की प्रणाली अपनानी चाहिए।
-खनिज उत्खनन क्षेत्र में शोध व अविष्कार की आवश्यकता है। -स्टार्टअप्स के लिए बाधा रहित माहौल तैयार किया जाए। -सरकार को ऐसी नीति बनानी चाहिए, जिसके तहत स्टार्टअप्स को निगरानी, अभियोग, याचिका और जुर्माने से कम से कम 2025 तक छूट मिले।
-सरकार और स्टार्टअप के बीच समन्वय के लिए नोडल एजेंसी हो। -राजस्थान में पर्यटन को उद्योग का दर्जा दिया जाए। -मेडिकल पर्यटन क्षेत्र में भी प्रोत्साहन की संभावनाएं हैं। -पर्यटन से जुड़े संस्थानों से बिजली के बिल का भुगतान औद्योगिक दर से लिया जाए।
– गांवों में छोटे सौर ऊर्जा केंद्र बनें। -राजस्थान को नीति निर्धारण के साथ इलेक्ट्रॉनिक हब बनाया जा सकता है। -तेलंगाना में 15 दिन में ही भूरूपांतरण हो जाता है। गुजरात व पंजाब में भी अवधि निर्धारित है। राजस्थान को भी उनका अनुकरण करना चाहिए।