78 फीसदी किशोरियां ही करती है आईएफए का सेवन
एनीमिया के व्यापक प्रसार के मामले में राज्य की प्रतिबद्धता दिख रही है, फिर भी हस्तक्षेपों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, आईएएफ वितरण और इसके कवरेज के बारे में डेटा उपलब्ध है, लेकिन किशोरियों के बीच इसकी खपत दरों से संबंधित आंकडे अभी एकत्रित नहीं किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के 12 जिलों में किए गए न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के टेलीमॉनिटरिंग सर्वे में पता चला है कि केवल 78 फीसदी किशोरियां ही आईएफए का नियमित रूप से सेवन करती हैं। आईएफए टैबलेट की खराब खपत के लिए बताए गए प्रमुख कारणों में सबसे ज्यादा भूलना, फिर आवश्यकता के अनुसार आईएफए की अनुपलब्धता और फिर कितनी गोलियां खानी हैं, के बारे में बहुत कम जानकारी होना व अस्थायी दुष्प्रभावों के प्रबंधन के बारे में जानकारी का अभाव शामिल रहे हैं। व्यवहारिक और जानकारी संबंधी कमी को दूर करने के लिए, समुदाय के नेतृत्व वाली एक सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति लागू की जा सकती है, जो किशोर स्वास्थ्य और पोषण के संदेशों को प्रसारित करने के लिए ऐसे तरीकों को अपनाए, जिन तक हर किसी की पहुंच हो और जिन्हें हर कोई समझ सकता हो। इस रणनीति से क्षेत्र स्तर पर काम करने वाले लोग, धार्मिक नेता और प्रभावशाली सामुदायिक लोगों को शामिल करने लाभ मिल सकता है। किशोर पोषण और स्वास्थ्य को पंचायत चर्चा के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है जहां किशोर कार्यक्रमों की निगरानी के साथ-साथ अन्य मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों की भी निगरानी हो सकती है। स्वास्थ्य और पोषण संदेश देने के लिए, व्हाट्स एप के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय मीडिया जैसे रेडियो, टेलीविजन, लघु समाचारों (फैक्टॉइड्स), इन्फोग्राफिक्स का भी प्रयोग किया जा सकता है।
एनीमिया के व्यापक प्रसार के मामले में राज्य की प्रतिबद्धता दिख रही है, फिर भी हस्तक्षेपों की गुणवत्ता को बेहतर बनाने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, आईएएफ वितरण और इसके कवरेज के बारे में डेटा उपलब्ध है, लेकिन किशोरियों के बीच इसकी खपत दरों से संबंधित आंकडे अभी एकत्रित नहीं किए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के 12 जिलों में किए गए न्यूट्रिशन इंटरनेशनल के टेलीमॉनिटरिंग सर्वे में पता चला है कि केवल 78 फीसदी किशोरियां ही आईएफए का नियमित रूप से सेवन करती हैं। आईएफए टैबलेट की खराब खपत के लिए बताए गए प्रमुख कारणों में सबसे ज्यादा भूलना, फिर आवश्यकता के अनुसार आईएफए की अनुपलब्धता और फिर कितनी गोलियां खानी हैं, के बारे में बहुत कम जानकारी होना व अस्थायी दुष्प्रभावों के प्रबंधन के बारे में जानकारी का अभाव शामिल रहे हैं। व्यवहारिक और जानकारी संबंधी कमी को दूर करने के लिए, समुदाय के नेतृत्व वाली एक सामाजिक व्यवहार परिवर्तन संचार रणनीति लागू की जा सकती है, जो किशोर स्वास्थ्य और पोषण के संदेशों को प्रसारित करने के लिए ऐसे तरीकों को अपनाए, जिन तक हर किसी की पहुंच हो और जिन्हें हर कोई समझ सकता हो। इस रणनीति से क्षेत्र स्तर पर काम करने वाले लोग, धार्मिक नेता और प्रभावशाली सामुदायिक लोगों को शामिल करने लाभ मिल सकता है। किशोर पोषण और स्वास्थ्य को पंचायत चर्चा के एजेंडे में शामिल किया जा सकता है जहां किशोर कार्यक्रमों की निगरानी के साथ-साथ अन्य मातृ एवं बाल स्वास्थ्य कार्यक्रमों की भी निगरानी हो सकती है। स्वास्थ्य और पोषण संदेश देने के लिए, व्हाट्स एप के साथ-साथ स्थानीय स्तर पर लोकप्रिय मीडिया जैसे रेडियो, टेलीविजन, लघु समाचारों (फैक्टॉइड्स), इन्फोग्राफिक्स का भी प्रयोग किया जा सकता है।
किशोरियों में आईएएफ टैबलेट के लिए जागरूकता
इस प्रक्रिया में किशोरों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने और उन्हें सक्रिय परिवर्तनकर्ता के रूप में देखने की जरूरत है। अगर ये किशोर-कार्यक्रम की शुरुआत से ही सक्रिय रूप से शामिल हों, तो बाधाओं की पहचान करने और कार्यक्रम संबंधी टिकाऊ समाधान तैयार करने में मदद करने के लिए वे सबसे अच्छी स्थिति में हैं। इसलिए किशोरियों में आईएएफ टैबलेट के पर्याप्त और समय पर सेवन को बढ़ावा देने के लिए, सहकर्मियों या किशोर चैंपियनों को शामिल किया जा सकता है। इनको प्रेरक के रूप में देखा जाता है और इनके द्वारा प्रसारित किए गए संदेश अधिक स्वीकार्य होते हैं। वे नियमित रूप से फॉलो-अप करने, आईएएफ के महत्व के बारे में किशोरों को परामर्श देने तथा नियमित और समय पर वितरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद करने में भी सहायक रहे हैं। अनियमित वितरण और खपत की चुनौती से निपटने के लिए, सकारात्मक प्रणाली आधारित व्यवस्था को अपनाना महत्वपूर्ण है, जिसमें आईएफए सप्लीमेंट्स की प्राप्ति के साथ ही खपत की भी नियमित निगरानी शामिल है। निगरानी करते समय खपत दर की समीक्षा करना और सरकारी स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की कमियों को रिपोर्ट करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसे फिलहाल और सुदृढ़ करने की जरूरत है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) जैसी पहल शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसके जरिये वे युवा लड़कियों को नियमित बातचीत करके आईएफए टैबलेट का सेवन करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर सकती हैं। इसके लिए किशोरों के बीच पारस्परिक संचार और परामर्श में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता (एफएलडब्ल्यू) की क्षमता बढ़ाने, परामर्श सत्रों के दौरान उपयोग के लिए परामर्श के टूल्स और व्यवहार परिवर्तन संचार सामग्री के साथ उनका समर्थन करने और लगातार उनके रोज के काम को लेकर सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी, ताकि वे अपने उन्नत कौशल का प्रदर्शन करने के साथ ही क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों को कम कर पाएं।
इस प्रक्रिया में किशोरों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझने और उन्हें सक्रिय परिवर्तनकर्ता के रूप में देखने की जरूरत है। अगर ये किशोर-कार्यक्रम की शुरुआत से ही सक्रिय रूप से शामिल हों, तो बाधाओं की पहचान करने और कार्यक्रम संबंधी टिकाऊ समाधान तैयार करने में मदद करने के लिए वे सबसे अच्छी स्थिति में हैं। इसलिए किशोरियों में आईएएफ टैबलेट के पर्याप्त और समय पर सेवन को बढ़ावा देने के लिए, सहकर्मियों या किशोर चैंपियनों को शामिल किया जा सकता है। इनको प्रेरक के रूप में देखा जाता है और इनके द्वारा प्रसारित किए गए संदेश अधिक स्वीकार्य होते हैं। वे नियमित रूप से फॉलो-अप करने, आईएएफ के महत्व के बारे में किशोरों को परामर्श देने तथा नियमित और समय पर वितरण में स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं की मदद करने में भी सहायक रहे हैं। अनियमित वितरण और खपत की चुनौती से निपटने के लिए, सकारात्मक प्रणाली आधारित व्यवस्था को अपनाना महत्वपूर्ण है, जिसमें आईएफए सप्लीमेंट्स की प्राप्ति के साथ ही खपत की भी नियमित निगरानी शामिल है। निगरानी करते समय खपत दर की समीक्षा करना और सरकारी स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली की कमियों को रिपोर्ट करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जिसे फिलहाल और सुदृढ़ करने की जरूरत है। राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) जैसी पहल शिक्षकों, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा कार्यकर्ताओं के लिए उपयोगी है, क्योंकि इसके जरिये वे युवा लड़कियों को नियमित बातचीत करके आईएफए टैबलेट का सेवन करने के लिए उन्हें प्रोत्साहित कर सकती हैं। इसके लिए किशोरों के बीच पारस्परिक संचार और परामर्श में अग्रिम पंक्ति के कार्यकर्ता (एफएलडब्ल्यू) की क्षमता बढ़ाने, परामर्श सत्रों के दौरान उपयोग के लिए परामर्श के टूल्स और व्यवहार परिवर्तन संचार सामग्री के साथ उनका समर्थन करने और लगातार उनके रोज के काम को लेकर सहायता प्रदान करने की आवश्यकता होगी, ताकि वे अपने उन्नत कौशल का प्रदर्शन करने के साथ ही क्षेत्र में मौजूद चुनौतियों को कम कर पाएं।
शिक्षा से मजबूत आजीविका
एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने क्षेत्र के आईएफए स्टॉक का सटीक आकलन करने के लिए क्षमता निर्माण भी एक ब्लॉक स्तरीय समस्या है। एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं ने एक गांव के लिए आईएफए सप्लीमेंट की मासिक आवश्यकता की गणना करने में आने वाली कठिनाइयों की भी सूचना दी है। अंतिम तौर पर कहें तो किशोरियों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर को बेहतर बनाने में सीधा प्रभाव डालने वाले कई सामाजिक-आर्थिक कारक हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कारक शिक्षा है। शिक्षा से न केवल मजबूत आजीविका मिलेगी, बल्कि लड़कियों को सही जानकारी तक पहुंच प्रदान करेगी, जिससे वे आत्मनिर्भर होकर स्वास्थ्य और पोषण संबंधी निर्णय ले सकेंगी और स्वस्थ आदतों को अपना सकेंगी, जिसका उनके भविष्य की खुशहाली पर सीधा असर पड़ेगा। विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से स्थापित किया जा चुका है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच मजबूत संबंध होता है। राज्य में देखें तो सिवनी, जबलपुर, बालाघाट और इंदौर जैसे कई जिलों में जहां महिलाओं की उच्च साक्षरता दर है, वहां स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन दिखता है। हमारी किशोरियों का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई की आवश्यकता है। एनीमिया और एनीमिया के लिए जिम्मेदार कारण को समझने के लिए डेटा के विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं की शिक्षा, आहार संबंधी परामर्श और सबसे महत्वपूर्ण आईएएफ के वितरण और खपत दोनों के समन्वय पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। इस तरह के प्रणालीगत सुधार एनीमिया मुक्त भारत की सोच को साकार करने में व्यापक योगदान दे सकते हैं।
एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं द्वारा अपने क्षेत्र के आईएफए स्टॉक का सटीक आकलन करने के लिए क्षमता निर्माण भी एक ब्लॉक स्तरीय समस्या है। एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं ने एक गांव के लिए आईएफए सप्लीमेंट की मासिक आवश्यकता की गणना करने में आने वाली कठिनाइयों की भी सूचना दी है। अंतिम तौर पर कहें तो किशोरियों के स्वास्थ्य और पोषण स्तर को बेहतर बनाने में सीधा प्रभाव डालने वाले कई सामाजिक-आर्थिक कारक हैं, जिसमें सबसे महत्वपूर्ण कारक शिक्षा है। शिक्षा से न केवल मजबूत आजीविका मिलेगी, बल्कि लड़कियों को सही जानकारी तक पहुंच प्रदान करेगी, जिससे वे आत्मनिर्भर होकर स्वास्थ्य और पोषण संबंधी निर्णय ले सकेंगी और स्वस्थ आदतों को अपना सकेंगी, जिसका उनके भविष्य की खुशहाली पर सीधा असर पड़ेगा। विभिन्न अध्ययनों के माध्यम से स्थापित किया जा चुका है कि शिक्षा और स्वास्थ्य के बीच मजबूत संबंध होता है। राज्य में देखें तो सिवनी, जबलपुर, बालाघाट और इंदौर जैसे कई जिलों में जहां महिलाओं की उच्च साक्षरता दर है, वहां स्वास्थ्य और पोषण संकेतकों के मामले में भी अच्छा प्रदर्शन दिखता है। हमारी किशोरियों का स्वस्थ भविष्य सुनिश्चित करने के लिए बहुआयामी कार्रवाई की आवश्यकता है। एनीमिया और एनीमिया के लिए जिम्मेदार कारण को समझने के लिए डेटा के विस्तृत विश्लेषण की आवश्यकता है, जिसमें महिलाओं की शिक्षा, आहार संबंधी परामर्श और सबसे महत्वपूर्ण आईएएफ के वितरण और खपत दोनों के समन्वय पर जोर दिए जाने की आवश्यकता है। इस तरह के प्रणालीगत सुधार एनीमिया मुक्त भारत की सोच को साकार करने में व्यापक योगदान दे सकते हैं।