रबी की फसल के लिए खतरा है आगामी माह,पाला बिगाड़ सकता है फसल
जयपुरPublished: Dec 25, 2019 10:30:59 am
पाले से फसलों को बचाना जरुरी
जयपुर
मौसम के तापमान में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही हैं। राजस्थान के कई जिलों में तो पारा जमाव बिंदू पर जा पहुंचा हैं। बढ़ती ठंड के कारण पाला गिरने से रबी की फसलों में पाले के प्रकोप का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में किसानों को अपनी फसलों को पाले से बचाना जरुरी होगा। दिसम्बर माह के यह दिन और जनवरी फरवरी में पाला पड़ने से हर साल किसानों की फसल को काफी नुकसान होता हैं। क्योकि कृषि विभाग की माने तो पाले से सरसों की फसल में चेंपा कीट और सफेद रतुआ, मटर में सफेद चूर्णी, आलू में झुलसा रोग बढ़ने की संभावना हो जाती हैं।
हालांकि सर्दी के इस मौसम में यह कोहरा गेहूं, चना और सरसों की फसल के लिए फायदेमंद भी माना जाता है। लेकिन कृषि विशेषज्ञ डॉ.सीबी यादव का कहना है कि पाले से फसलों को बचाना बहुत जरुरी है। क्योकि पाले से सरसों, मटर, चना, आलू, धनिया, टमाटर व मिर्च की फसलों को बहुत नुकसान होता हैं। पाले से इन फसलों के पौधे झुलस जाते हैं। पाला अधिकतर फसल में फूल आने की स्थिति में पौधों को प्रभावित करता है। इसलिए फसल को बहुत अधिक नुकसान होता है। पाले से पौधों की पत्तियां व फूल झुलस जाते और उनका रंग हल्का हो जाता है। पाले से पौधों की भोजन निर्माण की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बाधित होने लगती है। जिससे उत्पादन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।
क्यो पड़ता है पाला
जब वायुमंडल का तापमान चार से कम डिग्री तक पहुंच जाता है तो पाला पड़ने की संभावना अधिक रहती है। तापमान नीचे तक गिरने से वायु की नमी ओस में न बदलकर बर्फ के छोटे-छोटे कणों में बदल जाती है। जो ही पाला हैं। हवा न चल रही हो और आसमान साफ हो तब पाला पड़ने की संभावना और अधिक बढ़ जाती है। पाला पत्तियों पर जम जाता है, इस कारण पत्तियों के नस फट जाती हैं। पाले से पौधों को बचाने के लिए परंपरागत व रासायनिक तरीकों का प्रयोग करना चाहिए। पाले से बचाने के लिए पौधों को सर्दी से बचाना जरुरी होता है। बचाने के लिए पौधों को ढके लेकिन उनका दक्षिणी व पूर्वी भाग खुला रखे ताकि पौधों को सुबह व दोपहर में धूप मिलती रहे। वहीं दिन में खेत में हल्की सिंचाई कर देने से खेत का तापमान ज्यादा कम नहीं हो पाता है। इससे फसल पर पाले का प्रभाव कम पड़ता है। इसलिए जब पाला पड़ने की संभावना हो तब खेत में सिंचाई कर देनी चाहिए। वहीं खेत में घास फूस जलाकर धुआं करें। पाले का सबसे अधिक प्रभाव फूलों के अंडाशय पर पड़ता है। इससे पौधों में निषेचन की क्रिया नहीं होती है और दाने भी नहीं बनते हैं। जिससे पैदावार गिर जाती हैं।