राजधानी की सड़कों पर जितने लोग अपने अपने गावों को जाते दिख रहे है। उनमें से ज्यादातर की स्क्रिनिंग तक नहीं की जा रही है। ऐसे में उनमें यदि कोई कामगार या मजदूर यदि संक्रमित हो चुका है तो उसके साथ जा रहे समूह तथा गांवों में जाकर लोगों को संक्रमित करने की आशंका बलवती होती जा रही है। इस तरह के पलायन से कोरोना की चैन तोड़ने की प्रधानमंत्री की मुहिम पर विपरीत असर पड़ रहा है, वहीं सरकार के सभी को भोजन पहुंचाने के दावों पर भी सवालिया निशान लग रहा है।
झोटवाड़ा पुलिया से गुजर रहे कामगारों और मजदूरों के एक समूह में शामिल कामगारों से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि फैक्ट्री मालिक ने लॉकडाउन होने के बाद उन्हें काम पर आने से मना कर दिया। तब से वे अपने किराए के मकानों में रह रहे थे,लेकिन अब उनके पास खाने का सामान और पैसे खत्म हो चुके हैं। खाने के लाले पड़ गए हैं, कोई सहायता नहीं कर रहा है इसलिए ये आज पैदल ही अपने गांवों को निकल पड़े। इनके साथ महिलाएं और बच्चे भी थे। ये धौलपुर के जिले के विभिन्न गांवों के रहने वाले है। ऐसे ही समूह शहर से बाहर जानेवाली सभी मुख्य मार्गों पर दिख रहे हैं। लोगों का कहना है कि सरकार इन्हें गांवों में पहुंचाने किे लिए साधन उपलब्ध कराए अथवा उनके रहने और भोजन की पुख्ता व्यवस्था करें।
इस मामले में दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल ने यह ऐलान किया है कि दिल्ली में जो भी लोग हैं, उनकी सुरक्षा और खाने पीने का जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है। उन्होंने यह भी ऐलान किया कि दिल्ली में देश के विभिन्न राज्यों से आए हुए जो भी लोग हैं, उनमें जो कमजोर वर्ग के है, जिनके पास भोजन का संकट खड़ा हो गया है दिल्ली सरकार उनके भोजन व रहने की व्यवस्था करेगी। लेकिन राजस्थान में ऐसा देखने को नहीं मिल रहा है। राजधानी जयपुर में सीकर रोड, दिल्ली रोड, आगरा रोड, टोंक रोड, अजमेर रोड पर कामगार व दिहाड़ी मजदूर समूहों में पैदल ही गांवों की ओर जाते दिखाई पड़तें हैं।