राजस्थान हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 7 सितंबर को एक अंतरिम आदेश जारी किया था। जिसमें निजी स्कूलों को तीन किस्तों में ट्यूशन फीस का 70 फीसदी वसूलने की छूट दी थी। जिसके खिलाफ अभिभावक सुनील समदरिया ने अपील की थी। अपील पर सोमवार को मुख्य न्यायाधीश इंद्रजीत माहान्ति और न्यायाधीश प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अपीलार्थी अधिवक्ता सुनील समदरिया, संयुक्त अभिभावक संघर्ष समिति और अन्य अभिभावकों ने एकलपीठ के आदेश पर अंतरिम रोक लगाने की गुहार की। इनका कहना था कि एकलपीठ ने अभिभावकों को 30 सितम्बर तक फीस की पहली किस्त जमा करने के आदेश दिए हैं और फीस जमा नहीं करने पर स्कूल प्रशासन नाम काटने व ऑनलाइन क्लासेज से स्टूडेंट्स को वंचित करने की चेतावनी दे रहे हैं। जिस पर खंडपीठ ने फीस वसूली पर रोक लगाने से इनकार करते हुए सुनवाई के लिए 30 सितंबर की तारीख तय कर दी।
स्कूल नहीं बता रहे लॉकडाउन में कितना खर्च हुआ सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने कोर्ट में अपील दायर करने की बात रखी थी। दोपहर बाद अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश महर्षि यह अपील पेश कर दी। इस अपील में कहा है कि राज्य सरकार ने 9 अप्रेल और 7 जुलाई के आदेश से फीस को केवल स्थगित किया था। किसी भी निजी स्कूल ने सरकार के सामने कोई प्रतिवेदन पेश नहीं किया। सरकार ने निजी स्कूलों ने यह नहीं बताया कि लॉकडाउन में उनका खर्चा कितना हुआ है और किस मद में क्या खर्च किया गया। स्कूल नहीं खुलने से बिजली,पानी,इन्फ्रास्ट्रक्चर पर होने वाले खर्च की बचत हुई है। ऐसे में उस बचत का फायदा अभिभावकों को मिलना चाहिए। जहां तक ऑनलाइन क्लासेज की बात निजी स्कूल कर रहे है। तो अधिकांश स्कूलों में इसे लेकर पहले से ही इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार था। इस पर भी ज्यादा खर्च हुआ हो ऐसा नहीं लगता। ऐसे में 70 प्रतिशत फीस का भार अभिभावकों पर डालना गलत है।
अभिभावक बोले हो रही है जबरदस्ती हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अपीलार्थियों ने कहा कि कई प्राइवेट स्कूलों ने कुल फीस का 70 प्रतिशत चार्ज करना शुरू कर दिया है। फीस जल्द चुकाने को लेकर अभिभावकों को मैसेज और फोन कॉल्स किए जा रहे हैं। इसी के साथ स्कूल प्रशासन परीक्षाओं में ना बैठाने, आॅनलाइन कक्षाओं से बाहर निकालने की धमकियां दे रहे हैं।