राज्यपाल को भेजे गए पत्र में सरकार ने कहा है कि प्रो. अमेरिका सिंह ने गुरुकुल शिक्षण संस्थान के साथ मिलीभगत कर उसे लाभ पहुंचाने की कोशिश की है। इस मामले में अमेरिका सिंह के खिलाफ एफआइआर भी दर्ज है और राजस्थान हाईकोर्ट में अमेरिका सिंह की याचिका भी खारिज हो चुकी है। प्रो सिंह छह माह से भूमिगत हैं। ऐसे में अमेरिका सिंह का कुलपति पद पर बने रहना किसी भी दृष्टि से सही नहीं है।
बढ़ सकती है तल्खी: निजी शिक्षण संस्थाओं को विश्वविद्यालय का दर्जा देने को लेकर इस साल विवाद ही विवाद हुए हैं। राज्यपाल ने तीन दिन पहले ही तीन निजी विश्वविद्यालयों के विधेयकों को बिना मंजूरी के ही लौटा दिए थे। इसके बाद सरकार ने प्रो. अमेरिका सिंह को पद मुक्त करने की अनुशंसा कर दी। अमेरिका सिंह को राजभवन का नजदीकी माना जाता है। यदि आगे भी विवाद ऐसे ही बढ़ा तो इसका असर सरकार और राजभवन के रिश्तों पर भी पड़ सकता है।
यह था मामला
विधानसभा में इस साल सीकर में प्रस्तावित गुरुकल विश्वविद्यालय के विधेयक को पेश करते समय विपक्ष ने भारी हंगामा करते हुए कहा था कि विश्वविद्यालय के नाम पर फर्जीवाड़ा हुआ है। विधेयक को लाया गया, लेकिन भवन तक नहीं है। इसके बाद जब मामले की जांच हुई तो आरोप सही साबित हुए। अमेरिका सिंह उस कमेटी के अध्यक्ष थे, जिसने गुरुकुल विश्वविद्यालय के पक्ष में रिपोर्ट दी थी। अमेरिका सिंह इस साल 19 अप्रेल से अवकाश पर चल रहे हैं। अमेरिका सिंह के खिलाफ संभागीय आयुक्त जयपुर की जांच रिपोर्ट आने के बाद जुलाई में राज्य सरकार की सिफारिश पर राज्यपाल ने उन्हें निलम्बित कर दिया था।