केन्द्र सरकार के बाद अब राज्य सरकार ने भी इन्स्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड
(आईएल) के संचालन से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके चलते इस उद्योग के संचालन
की गेंद एक बार फिर केन्द्र सरकार के पाले में चली गई है।
केन्द्र सरकार के बाद अब राज्य सरकार ने भी इन्स्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड (आईएल) के संचालन से हाथ खड़े कर दिए हैं। इसके चलते इस उद्योग के संचालन की गेंद एक बार फिर केन्द्र सरकार के पाले में चली गई है।
सूत्रों के अनुसार उद्योग मंत्री गजेन्द्रसिंह खींवसर का कहना है कि आईएल पर काफी देनदारियां हैं, यह काफी समय से घाटे में है। ऐसे में इसका संचालन राज्य सरकार द्वारा कर पाना कठिन है। इस बारे में केन्द्र को अवगत कर दिया गया है। अब इस बारे में केंद्र को फैसला लेना है।
गौरतलब है कि 30 सितम्बर 2015 को केन्द्रीय भारी उद्योग एवं लोक उद्यम मंत्री ने मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर इन्स्ट्रूमेंटेशन लिमिटेड की घाटे में चल रही कोटा इकाई को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित करने का प्रस्ताव दिया था। राज्य सरकार के इस कदम के बाद आईएल का भविष्य केन्द्र सरकार को ही तय करना है।
इधर, हाल ही में आईएल प्रबंधन ने केन्द्र सरकार को तीन बिन्दुओं पर रिपोर्ट भेजी है। इसमें यूनिट के संचालन पर कितनी राशि की जरूरत पड़ेगी और यदि बंद करना पड़े तो कितनी राशि की देनदारियां है, इसकी जानकारी भेजी है। साथ ही इस उद्योग को अन्य वृहद उद्योग में विलय करने पर क्या करना होगा, इसकी भी रिपोर्ट भेज दी है।