प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी ने अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद केन्द्रीय नेतृत्व और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बीच अध्यक्ष के नाम को लेकर सहमति नहीं बनने से मामला और उलझ गया। इसका असर प्रदेश कार्यालय पर भी दिखने लगा और कुछ दिनों बाद ही कार्यालय सूना नजर आने लगा और सन्नाटा छाने लगा। संगठनात्मक बैठके होना बंद हेा गई और जिलों से आने वाले कार्यकर्ताओं की संख्या भी कम हो गई। एक दो पदाधिकारी और कार्यकर्ता पार्टी कार्यालय आते जरूर लेकिन वे भी एक दो घंटे बैठ कर वहां से चले जाते।
प्रदेश कार्यालय में पसरे सन्नाटे से कार्यकर्ताओं का मनोबल भी टूटने लगा और विधान सभा चुनाव की तैयारियेां के बीच नाकारात्म असर आने लगा। माहौल को भांप कर प्रदेश प्रभारी अविनाश राय खन्ना और संगठन महामंत्री अविनाश राय खन्ना ने कमान संभाली और संगठनात्मक बैठकों का दौर शुरू किया है। अब ये दोनों नेता बारी बारी से संगठनात्मक बैठकें ले रहे हैं जिससे पार्टी पदाधिकारी भी आने लगे हैं और कार्यकर्ता भी आने लगे हैं और चुनावी साल जैसा माहौल एक बार फिर दिखने लगा है। हांलाकि अविनाश राय खन्ना ने प्रभारी और चन्द्रशेखर ने संगठन महामंत्री की हैसियत से राजस्थान भाजपा में थोडे ही समय में अपनी विशेष पहचान बनाई है।
वहीं मंत्रियों की की जन सुनवाई भी करीब सप्ताह भर बाद शुरू हुई है। इसके साथ ही मोर्चा और प्रकोष्ठ पदाधिकारी भी अब अपने अपने कार्यालयों में बैठ रहे हैं जिससे दिन भर पार्टी कार्यालय में गहमा गहमी दिखना शुरू हुआ है।