script…तो देश में धार्मिक आधार पर मिलेगी नागरिकता | ... then the country will get citizenship on religious grounds | Patrika News

…तो देश में धार्मिक आधार पर मिलेगी नागरिकता

locationजयपुरPublished: Dec 10, 2019 01:48:34 am

Submitted by:

sanjay kaushik

लोकसभा ( Loksabha) ने सोमवार आधी रात( Midnight) पाकिस्तान, बंगलादेश तथा अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त हिन्दू , बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने वाला विधेयक पारित ( Citizenship Bill Passed ) कर दिया। ( Jaipur News)

...तो देश में धार्मिक आधार पर मिलेगी नागरिकता

…तो देश में धार्मिक आधार पर मिलेगी नागरिकता

-नागरिकता संशोधन विधेयक लोकसभा में पारित

-विधेयक के पक्ष में 311, विपक्ष में 80 मत पड़े

-विधेयक पर करीब छह घंटे तक चली चर्चा

-1950 के नेहरू-लियाकत समझौते की गलती को सुधारने के लिए लाए विधेयक : शाह
-‘विधेयक का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं’

-चर्चा के दौरान 48 सदस्यों ने किए अपने विचार व्यक्त

नई दिल्ली। लोकसभा ( Loksabha) ने सोमवार आधी रात( Midnight) पाकिस्तान, बंगलादेश तथा अफगानिस्तान में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त हिन्दू , बौद्ध, जैन, सिख, पारसी और ईसाई संप्रदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने वाला विधेयक पारित ( Citizenship Bill Passed ) कर दिया। ( Jaipur News) गृहमंत्री अमित शाह ने सोमवार को विधेयक पर करीब छह घंटे चली चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन विधेयक 1950 के नेहरू लियाकत समझौते की गलती को सुधारने के लिए लाया गया है। उन्होंने साफ किया कि इस विधेयक का भारत में रहने वाले मुसलमानों से कोई लेना-देना नहीं है। भारत में पहले भी मुसलमान बराबरी के अधिकार से रहते रहे हैं, वे आगे भी ऐसे ही बराबरी के हक से रहते रहेंगे। विधेयक पर चर्चा के दौरान 48 सदस्यों ने अपने विचार व्यक्त किए। बाद में मध्यरात्रि को विपक्ष ने विधेयक पारित करते समय संशोधनों को खारिज करके मतविभाजन के बाद विधेयक को पारित कर दिया गया। विधेयक के पक्ष में 311 और विपक्ष में 80 मत पड़े।
-शाह की खरी-खरी

-केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पहले भी नागरिकता संशोधन विधेयक किसी खास परिस्थिति में किसी खास समुदाय या समूहों को नागरिकता देने के लिए लाया गया था और इस बार भी यह केवल तीन देशों पाकिस्तान बंगलादेश अफगानिस्तान में धार्मिक अल्पंसख्यक शरणार्थियों को स्वीकार करने के लिए लाया गया है।
-यह विधेयक किसी भी स्तर पर असंवैधानिक नहीं है। विधेयक तैयार करते समय सरकार ने इस बात का पूरा ध्यान रखा है कि किसी भी धर्म के व्यक्ति के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा, लेकिन जिन तीन पड़ोंसी मुल्कों के संविधान में लिखा है इस्लाम उनका राज्यधर्म है। इन मुल्कों में अल्पसंख्यकों को प्रताडि़त किया जाता है और उन्हें संरक्षण नहीं दिया गया है इसलिए इन प्रताड़ति शरणार्थियों को संरक्षण देने के लिए सरकार यह विधेयक लेकर आई है।
-शाह ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी एवं ईसाइयों को भारत में शरणार्थी के रूप में रहते हुए वर्षों हो गए तो फिर उन्हें स्वीकार क्यों नहीं किया गया।
-इससे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) से कोई लेना-देना नहीं है। हालांकि एनआरसी विधेयक आएगा तो वह उसके बारे में भी बेबाकी से सभी सवालों के जवाब देंगे।
-यह विधेयक विभिन्न धर्मों के प्रताड़ति समुदाय के लोगों को संरक्षण देता है, इसलिए इसमें कहीं भी संविधान के अनुच्छेद का उल्लंघन नहीं हुआ है।
-इन तीनों देशों में धार्मिक आधार पर प्रताडि़त लोगों को किसी भी आधार पर घुसपैठिया नहीं कहा जा सकता है।
-शरणार्थी और घुसपैठियों में अंतर होता है जो धार्मिक प्रताडऩा से बचने, स्त्रियों की इज्जत एवं स्वधर्म को बचाने के लिए आए, वे शरणार्थी हैं और जो बिना दस्तावेज के छिप कर घुस आये वो घुसपैठिया है।
-यह विधेयक उन्हें पूरे अधिकार देता है इसलिए शरणार्थी नीति की कोई जरूरत नहीं है।
-कुछ राजनीतिक दलों के लोग राजनीतिक फायदे के लिए दुष्प्रचार कर रहे हैं और विभिन्न राज्यों में रहने वाले शरणार्थियों को भ्रमित किया जा रहा है।
-मेरा आम आदमी से कहना है कि किसी के बहकावे में नहीं आएं। सरकार ने उनके लिए नागरिकता कानून बनाया है और उनके पास यदि कोई प्रमाण भी नहीं है तो भी उक्त छह समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का अधिकार मिलेगा।
-इन तीनों मुल्कों में अल्पसंख्यकों की प्रताडऩा हो रही है और वहां इनकी आबादी निरंतर घट रही है और खत्म होने की कगार पर है।
-1947 में पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की आबादी 23 प्रतिशत थी जो 2011 में घटकर 3.7 प्रतिशत रह गई है। इसी तरह से बंगालदेश में 1947 में 22 फीसदी अल्पसंख्यक थे, लेकिन 2011 में उनकी आबादी 7.8 रह गयी है। इसके ठीक विपरीत भारत में 1951 में 9.1 प्रतिशत मुसलमान थे, जिनकी आबादी 2011 में 14.5 प्रतिशत पहुंची है।
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-धार्मिक आधार पर नागरिकता?

उल्लेखनीय है कि बुधवार को यह विधेयक राज्यसभा में पेश किया जा सकता है। हालांकि राज्यसभा में एनडीए को बहुमत प्राप्त नहीं है, लेकिन तीन तलाक बिल राज्यसभा में पहले पारित कराया जा चुका है। ऐसे में राज्यसभा से बिल पारित होने के बाद देश में पहली बार नागरिकता धार्मिक आधार पर दी जाएगी।
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