शिक्षक संगठनों ने इसका विरोध किया है। राजस्थान प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष विपिन शर्मा ने कहा कि वर्तमान में स्कूलों में परीक्षा का समय है। ऐसे में स्कूल में बच्चों की पढ़ाई अधिक जरूरी है। शिक्षकों को इस प्रकार गैर शैक्षणिक कार्य में लगाए जाने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होगी। इतना ही नहीं बोर्ड परीक्षा भी चल रही है। पीईईओ के पास परीक्षा संबंधी दायित्व भी हैं। वह उसे पूरा करेगा या श्रमिकों के भौतिक सत्यापन का काम करेेगा।
गैर शैक्षणिक कार्य में लगाने पर है रोक
गौरतलब है कि पूर्व शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा ने अपने कार्यकाल में प्रदेश के सभी जिला कलेक्टर को निर्देश दिए थे जिसमें कहा गया था कि निशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार अधिनियम की धारा 27 में दिए गए कार्यों के अलावा शिक्षकों को नहीं लगाया जाए, इससे शैक्षणिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं लेकिन इसके बाद भी उन्हें गैर शैक्षणिक कार्यों में लगाए जाने का सिलसिला बंद नहीं हुआ है।
पढ़ाने के अलावा यह कार्य भी कर रहे शिक्षक
शिक्षकों की माने तो उनसे डेंगू, चिकनगुनिया, पल्स पोलियो अभियान से लेकर निर्वाचन के कार्य, मतदाता सूची आदि बनाने में शिक्षकों की ड्यूटी लगा दी जाती है। इसमें उनका काफी समय गैर शैक्षणिक कार्य में जाया होता है।
,उनकी ड्यूटी अक्सर जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, जाति प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र की जानकारी एकत्र करने, रिपोर्ट बनाकर राजस्व विभाग तक पहुंचाना, नए प्रमाण पत्रों का पंजीयन कराना, पोलियो अभियान में भागीदारी देने मेे लगाई जाती है।
मध्याह्न भोजन की मॉनिटरिंग, रिकॉर्ड मेंटेन करानाए स्कूल में क्रमि नाशक दवाई फ्लोरे फ्लोरिक एसिड की दवाई बांटना, रिकॉर्ड रखना, स्कॉलरशिप फॉर्म भरने से लेकर बैंक खाता खुलवाना, स्कूल यूनिफार्म, पाठ्य पुस्तकों को हितग्राही छात्रों तक पहुंचाना और उनकी सूची तैयार करना और वितरण के कार्य के बाद उसका पूरा रिकॉर्ड मेंटेन करके उच्चाधिकारियों को भेजना आदि उनसे कराया जाता है।